क्या उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र का मतलब सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित रह गया है? क्या प्रशासन को केवल अपनी सत्ता बचाने की चिंता है, लोकतंत्र में हर नागरिक और हर राजनीतिक दल को अपनी आवाज़ उठाने का अधिकार है। अगर सरकार अपने नागरिकों से मिलने और उनके मुद्दों पर बात करने का यह अधिकार भी छीन ले, तो यह लोकतंत्र के सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन है.. जी हाँ बता दे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर सपा का प्रतिनिधिमण्डल सोमवार को गोरखपुर के अमचौरा गांव शिवधनी निषाद की हत्या मामले में पीड़ित परिवार से मिलने जा रहा था, लेकिन उन्हें पीड़ित परिवार से मिलने नहीं दिया गया। ये कैसा लोकतंत्र है की विपक्ष के नेताओं को पीड़ित परिवार से यूपी में मिलने नाहीउ दिया जा रहा है ? जो कि लोकतंत्र और संवैधानिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है। यह घटना न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज में बढ़ते असमानता और भेदभाव को भी उजागर करती है. की प्रदेश में किस कदर जातिवाद हावी है… क्या यूपी में लोकतंत्र है ? या तानाशाही का राज चल रहा है ?
बता दे गोरखपुर जिले के गीडा थाना क्षेत्र के अमरौटा गांव में एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दिए जाने से हड़कंप मचा हुआ है .. यहां शिवधनी उर्फ रामधनी निषाद की रंजिशन पड़ोसी शशिशंकर सिंह उर्फ पिकलू ने गोली मार कर हत्या कर दी थी। आरोप ये भी है कि पुलिस ने टिकलू सिंह के परिवार को सुरक्षा दी है जबकि निषाद परिवार जानो माल की सुरक्षा लिए भटक रहा है.. अब जरा सोचिये ये हाल सीएम योगी के गृह जनपद का है तो पूरे प्रेदश के अन्य जिलों के क्या हाल होंगे। इस घटना ने न केवल समाज में नफरत और हिंसा को बढ़ावा दिया है, बल्कि सरकार और प्रशासन की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। जैसे-जैसे हत्या का मामला तूल पकड़ता जा रहा है, लोगों के बीच आक्रोश और गुस्से की लहर फैल गई है। निषाद समाज के लोग इसे एक सुनियोजित हमला मानते हैं, जबकि कुछ लोग इसे जातिवाद से प्रेरित हत्या मान रहे हैं…
सरकार की नाकामी, ठाकुरवाद का आरोप ?
निषाद समुदाय का मानना है कि यह हत्या जानबूझकर उनके समुदाय के खिलाफ एक साजिश के तहत की गई है, वहीं विपक्षी दलों ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर आरोप लगाया है कि वह दलित और पिछड़ी जातियों के मामलों में असंवेदनशील है। उन्होंने सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग की है और कहा है कि यदि दोषियों को सजा नहीं मिली, तो आंदोलन तेज कर दिया जाएगा।आपको बता दे गोरखपुर की इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा किया है कि क्या हमारी समाज व्यवस्था में अगड़ी जातियों और पिछड़ी जातियों के बीच की खाई और भी गहरी होती जा रही है। निषाद समुदाय के लोग लंबे समय से इस प्रकार के भेदभाव का सामना करते आ रहे हैं।
वहीं गोरखपुर की यह घटना इस बात का प्रमाण है कि हमारे समाज में जातिवाद और असमानता का जहर अभी भी गहरे तक फैला हुआ है। अगर सरकार ने इस मामले में सख्त कदम नहीं उठाए और दोषियों को जल्द सजा नहीं दी, तो इससे समाज में और भी गहरा तनाव और आक्रोश फैल सकता है। क्योंकि अब कोई भी और जातिवाद से प्रेरित हत्याएं और हिंसा बर्दाश्त नहीं की जा सकती। हालाँकि पीड़ित परिवार ने रविवार को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर आपबीती बताई। मुख्यमंत्री ने परिवार को हर संभव मदद और न्याय दिलाने की बात की। लेकिन सवाल यही है की क्या सिर्फ आश्वासन से काम चलेगा ? क्या योगी सरकार इस पर कोई ठोस कदम उठाएगी, या फिर जो आरोप विपक्ष लगता है ठाकुरवाद का वही होगा ?