.यूपी की राजनीति जाति धर्म पर आई !
.क्या उपचुनाव को लेकर भड़काए जा रहे मुद्दे ?
.क्या रामगोपाल मिश्रा और मंगेश यादव हो गए राजनीति के शिकार ?
कहते हैं अगर दिल्ली की सत्ता पर काबिज होना है तो पहले उत्तर प्रदेश की सत्ता पर राज करना होगा. लेकिन उत्तर प्रदेश की सत्ता पर राज करने की राह इतनी भी आसान नहीं है. ना जाने सत्ताधारी नेताओं और विपक्ष के नेताओं को कितनी सारी मुश्कीलों और षणयत्रों से गुजरना होता है तब मिलती है यूपी के मुख्यमंत्री की कुर्सी. बता दें कि इन दिनों उत्तर प्रदेश में खाली विधानसभा सीटों पर उपचुनावों होने को है और ऐसे में यूपी की राजनीति गरमाई हुई है. लगातार चुनावी माहौल बनाने के लिए एक ना एक मुद्दे छेड़े जा रहे हैं जिससे उपचुनाव में बहुमत हासिल कर पाएं. क्योंकि उत्तर प्रदेश एक ऐसा प्रदेश है जहां पर विकास से ज्यादा जाति और धर्म पर वोट बटोरें जाते हैं, तभी तो जैसे ही यूपी का उपचुनाव नजदीक है वैसे ही इन दिनों जातिय और धर्म की राजनिती अपने चरम पर है. बता दें कि पहले मंगेश यादव का एनकाउंटर हुआ जिसपर अखिलेश यादव ने जमकर सीएम योगी पर हमला किया था. अखिलेश यादव का कहना था कि योगी सरकार सिर्फ ओबीसी समाज पर ऐसे हमले जानबूझकर करवा रही है तो वहीं अब बहराईच हिंसा और लखीमपुर से बीजेपी विधायक योगेश वर्मा पर राजनिती गहरा गई है. पक्ष हो या विपक्ष दोनों ही तरफ से प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है. बीजेपी विधायक योगेश वर्मा पर ठाकुर समाज के थप्पड़ मारने से विपक्ष के नेताओं को एक बार फिर से योगी सरकार पर हमला करने के का और ओबीसी समाज की दावेदारी करने का मुद्दा मिल गया है.
सीएम योगी के एक्शन पर विपक्ष के सवाल !
लेकिन लगातार विपक्ष द्वारा सवाल उठाये जाने से सीएम योगी ने अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अवधेश सिंह और बीजेपी नेता की पत्नी पुष्पा सिंह को पार्टी से बेदखल कर दिया और इसी के साथ आरोपियों पर 5 दिन बाद एफआईआर भी दर्ज हुई. वहीं अब 5 दिन बाद किए गए एक्शन पर योगी की उपचुनाव को लेकर प्रेशराईज वाली राजनीती जोड़ी जा रही है. बताया जा रहा है कि अवधेश सिंह द्वारा बीजेपी विधायक योगेश वर्मा पर थप्पड़ मारे जाने के बाद ठाकुर बनाम वर्मा का एंगल आ गया है. बता दें कि उत्तर प्रदेश में ओबीसी समाज में यादव के बाद दुसरे नंबर पर कुर्मी ही आते हैं. जिसके चलते कहा जा रहा है कि सीएम योगी को मजबूरी में ऐसे कदम उठाने पड़े हैं. वहीं बहराईच में भी हिंदु बनाम मुसलमान की आग सुलग रही है. अब्दुल हमीद के गोली मारे जाने से रामगोपाल मिश्रा की मौत हो गई. जिससे वहां के लोग हिंसात्मक है. हालांकि लखनऊ के STF चीफ अमिताभ यश ने बहराईच की हिंसा को कंट्रोल किया है, इसके बावजूद भी उपद्रवी प्रशासन के कंट्रोल में नहीं है. वहीं अब रामगोपाल मिश्रा की मौत के बाद ये मुद्दा भी राजनीतिक रुप ले लिया है अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि बहराईच की हिंसा जानबूझकर करवाई गई है ताकि योगी का धंधा चलता रहे
वहीं आज रामगोपाल मिश्रा के परिजन सीएम योगी से मिलने गए थें. जहां सीएम योगी ने पीड़ित परिजनों को न्याय दिलाने का भरोसा दिया है, और कहा है कि इस दुख की घड़ी में सरकार पीड़ितों के साथ है. हालांकि इस सब से परेह अगर देखा जाए तो कहीं ना कहीं साफ तौर पर देखा जा सकता है कि किस तरह से प्रदेश में शांति चमन लाने से ज्यादा और भी जलते मुद्दों में घी डालने का काम किया जा रहा है.