दिल्ली अपनी जहरीली हवा के लिए पूरी दुनिया में कुख्यात है. यानी एयर पॉल्यूशन. खासतौर से दीवाली के बाद वाले हफ्तों में तो आंख-नाक-फेफड़ों का जलना तय है. लेकिन इस बार हवा थोड़ी साफ नजर आई. दीवाली 31 अक्टूबर को मनाई गई. इसके बाद 11 नवंबर तक हवा की गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ थी. जबकि पिछले साल इसी समय के दौरान यह ‘गंभीर’ अवस्था में थी. इस साल थोड़ी साफ हवा के पीछे कुछ महत्वपूर्ण फैक्टर्स हैं.
इस साल प्रदूषण को फैलने से मौसमी वजहों ने रोका. जैसे कम गति की हवा. ज्यादा तापमान. इसलिए पिछली साल की तुलना में इस बार प्रदूषण कम ठहरा और कम फैला. यानी पाकिस्तान, पंजाब और राजस्थान जैसे इलाकों से जो प्रदूषण दिल्ली-एनसीआर की ओर आता था, वह इस बार कम आया. उधर ही रुक गया.
इस साल पंजाब और हरियाणा में पराली भी कम जलाई गई है. जिसकी वजह से दिल्ली में होने वाले पॉल्यूशन का ‘कॉकटेल’ कमजोर पड़ गया. इस हफ्ते के आखिरी के दिनों में जिस पश्चिमी विक्षोभ के आने की आशंका है, हो सकता है कि वह 15 नवंबर के आसपास दिल्ली-एनसीआर के एयर क्वालिटी इंडेक्स को बिगाड़े. लेकिन एक अच्छी संभावना ये भी है कि इससे आने वाली तेज हवाएं इस इलाके के प्रदूषण को दूर हटाकर ले जाएं.
मौसम विभाग ने उत्तरी मैदानी इलाकों में फिलहाल किसी तरह के बारिश की संभावना से भी इंकार किया है. 20 नवंबर के आसपास तापमान में गिरावट की संभावना है क्योंकि हिमालय में बर्फबारी शुरू हो चुकी है. इसकी वजह से हवा की गुणवत्ता में और सुधार आ सकता है. क्योंकि इससे वायुमंडलीय स्थितियां सुधर सकती हैं.