अयोध्या में प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर अयोध्या फिर सजी दुल्हन जैसी,41 द‍िन चलेगा भव्‍य आयोजन !

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पंचांग के अनुसार रामलला का पाटोत्सव तो 11 से 13 जनवरी के बीच संपन्न हो चुका है। अब कैलेंडर के अनुसार बुधवार यानी 22 जनवरी को भव्य मंदिर में रामलला की प्रतिष्ठा का एक वर्ष पूरा हो गया है। इस अवसर पर श्रीरामलला अयोध्याजी सेवा समिति के संयोजन में 41 दिवसीय रामलला महोत्सव का आरंभ किया गया है।
महोत्सव का आरंभ बुधवार को पूर्वाह्न रामलला को छप्पन भोग, 108 किलो की माला तथा ठंड के मौसम के अनुरूप जयपुरिया रजाई अर्पित किए जाने से होगा। इसके बाद रामसत्संग भवन में धर्मध्वजा पूजन और रामरक्षा स्तोत्र का सवा लाख पाठ आरंभ होगा। धर्मध्वजा पूजन से पूर्व भव्य शोभायात्रा निकलेगी। इसमें एक पालकी पर रामलला और बजरंगबली के चित्र के साथ रामरक्षा यंत्र को प्रतिष्ठित किया जाएगा।

सत्‍संग भवन पहुंचेगी शोभायात्रा
शोभायात्रा हजारों रामभक्तों और बैंड-बाजे के साथ रामायण सत्संग भवन पहुंचेगी। मध्याह्न संतों का वृहद भंडारा एवं अपराह्न संत समागम संयोजित है। समागम में सनातन जगत के प्रतिनिधि धर्माचार्य रामलला के पाटोत्सव का निहितार्थ विवेचित करेंगे और सांस्कृतिक उन्नयन के इस शिखर को निरंतर उच्चतर बनाए रखने और उसे अडिग रखने का सूत्र साझा करेंगे। सायं भजन संध्या से भी रामलला के प्रति अनुराग अर्पित होगा। स्वरांजलि अर्पित करने वाले संगीतज्ञों में इंदौर के पं. सुधीर व्यास भी होंगे।

अधिकांश अनुष्ठान तो बुधवार की रात गहराने के साथ थम जाएंगे, लेक‍िन रामरक्षा स्तोत्र का पाठ पूरे 41 दिन तक चलेगा। पहले दिन तो 251 मर्मज्ञ आचार्य रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास के उत्तराधिकारी एवं मणिरामदास जी की छावनी के महंत कमलनयनदास के मार्गदर्शन में पाठ आरंभ करेंगे, लेक‍िन इसके बाद 40 दिनों तक 51 आचार्य रामरक्षा स्तोत्र का पाठ जारी रखेंगे।

अयोध्या जी सेवा समिति के अध्यक्ष एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति के ज्योतिष गुरु डॉ. राजानंद के अनुसार श्रीराम के प्रथम पाटोत्सव पर रामलला यंत्रम के रूप में संयोजित किया जा रहा है। इसमे पूरी शास्त्रीयता एवं विधि-विधान नियुक्त-निरूपित है। राम सत्संग भवन में इस अवसर पर उन कारसेवकों को भी नमन किया जाएगा, जिनका प्राणोत्सर्ग रामजन्मभूमि मुक्ति के अभियान में मील का पत्थर माना जाता है।

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