दिल्ली की कुर्सी पर किसका ‘प्रवेश’ ? 27 सालों बाद लौटी बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती ?

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27 सालों का वनवास खत्म कर भारी बहुमत के साथ दिल्ली में बीजेपी की वापसी ने सभी को चौका दिया…लेकिन अब सभी को सीएम का बेसब्री से इंतज़ार है… दिल्ली में नए सीएम को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हैं… और सीएम रेस के लिए भी कई चेहरे और नाम सामने आ रहे हैं…लेकिन बीजेपी किसे दिल्ली की कमान सौंपेगी इसमें अभी संशय बना हुआ है…भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा था… 5 फरवरी को दिल्ली में वोटिंग हुई थी और 5 फरवरी को हुई मतगणना में दिल्ली की जनता ने भरी बहुमत देकर जीत दिलाई है…दिल्ली में आम आदमी पार्टी को करारी हार का सामना कर औंधे मुह गिरना पडा है..यहा तक की आप के दिग्गज नेता अरविन्द केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और राघव चड्ढा भी अपनी सीट नही बचा पाए….बता दें की,अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली विधानसभा सीट से पहली जीत 2013 में कांग्रेस की दिग्गज नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हराकर हासिल की थी और तब से लगातार जीतते रहे. लेकिन 2025 के विधानसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी के प्रवेश वर्मा ने 4089 मतों से मात दी…

फ़िलहाल दिल्ली में सभी को सीएम चेहरे का इंतजार है….दिल्ली बीजेपी प्रमुख सचदेवा से जब सीएम चेहरे के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि यह फैसला पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व करेगा. विधायक दल की बैठक के बाद फैसला लिया जाएगा. हालांकि अभी तक बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद के लिए नामों पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन 5 संभावित नाम चर्चा में है. जिनको सीएम पद दिया जा सकता है…ये पांच चर्चित नाम परवेश साहिब सिंह वर्मा हैं , जो अरविंद केजरीवाल के गढ़ में सेंध लगाने में कामयाब रहे.दूसरा नाम विजेन्द्र गुप्ता का हैं जिन्होने वरिष्ठ भाजपा नेता विजेन्द्र गुप्ता ने दिल्ली बीजेपी प्रमुख के रूप में कार्य किया. वे लगातार रोहिणी सीट पर कब्जा करने में कामयाब रहे. तीसरा नाम सतीश उपाध्याय का है, सतीश उपाध्याय को बीजेपी का ब्राह्मण चेहरा माना जाता है. वे पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष, दिल्ली युवा मोर्चा के प्रमुख और एनडीएमसी के उपाध्यक्ष रह चुके हैं. चौथे नंबर पर है आशीष सूद…आशीष सूद बीजेपी का पंजाबी चेहरा हैं. और दिल्ली बीजेपी के महासचिव रह चुके हैं. वहीं पाचवा नाम जितेंद्र महाजन का है…आरएसएस के करीबी जितेंद्र महाजन वैश्य समुदाय से आते हैं. वह तीसरी बार विधायक बने. सरिता सिंह को हराकर रोहतास नगर सीट जीती…वही अगर पार्टी बीजेपी विधायक के अलावा किसी और को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला करती है, तो कई सांसदों और प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के नाम चर्चा में हैं. सचदेवा ने प्रदेश इकाई में गुटबाजी खत्म करने में अहम भूमिका निभाई है.बता दें कि, दिल्ली में कोई विधान परिषद नहीं है,इसलिए बीजेपी को उपचुनाव कराना होगा और किसी मौजूदा विधायक को इस्तीफा देना होगा ताकि गैर-विधायक को मुख्यमंत्री बनाया जा सके. इस स्थिति में मनोज तिवारी,बंसुरी स्वराज और रामवीर सिंह बिधूड़ी जैसे सांसद भी रेस में हो सकते हैं.

दिल्ली में ऐसे कयास लगाये जा रहे है कि बीजेपी जातिगत संतुलन बनाए रखने के लिए उपमुख्यमंत्री पद पर भी विचार कर सकती है. पिछले साल छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में दो-दो उपमुख्यमंत्री बनाए गए थे, लेकिन हरियाणा में नहीं. हालाँकि दिल्ली की विधानसभा महज 70 सीटों की है, लेकिन फिर भी पार्टी यहां संतुलन बनाए रखना चाह सकती है.फ़िलहाल देखने वाली बात ये है कि,पार्टी नेतृत्व किसे दिल्ली की सत्ता सौपेगी…और सीएम रेस में आगे चल रहे चेहरों में से किस पर अपना भरोसा जाएगी…जो जनता की उम्मीदों को सच साबित कर दिल्ली की तस्वीर बदलेगा..

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