नितीश कुमार रेड्डी का ऐतिहासिक शतक: मेलबर्न टेस्ट में भारतीय क्रिकेट का नया सितारा

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भारतीय क्रिकेट में एक और युवा खिलाड़ी ने इतिहास रच दिया है। नितीश कुमार रेड्डी ने अपने टेस्ट करियर का पहला शतक मेलबर्न टेस्ट में लगाया, और वह भी उस समय जब टीम इंडिया मुश्किल में थी। इस शानदार पारी ने न केवल फॉलोऑन से बचने में मदद की, बल्कि उसे एक युवा क्रिकेटर के रूप में भी स्थापित किया। नितीश ने 21 साल और 216 दिन की उम्र में यह शतक जमाया, जिससे वह ऑस्ट्रेलिया में शतक लगाने वाले तीसरे सबसे युवा भारतीय क्रिकेटर बन गए। इससे पहले, केवल सचिन तेंदुलकर और ऋषभ पंत ही ऐसे भारतीय खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने इस मैदान पर इतने कम उम्र में शतक लगाया।

शतक के साथ भारत को फॉलोऑन से बचाया

मेलबर्न टेस्ट में जब भारत 191 के स्कोर पर छठा विकेट गंवा चुका था, तो फॉलोऑन बचाने के लिए 84 रनों की आवश्यकता थी। नितीश ने अपनी ठोस बल्लेबाजी से भारत को इस मुश्किल स्थिति से बाहर निकाला। रवींद्र जडेजा के जल्दी आउट होने के बाद, नितीश और वाशिंगटन सुंदर ने 127 रनों की अहम साझेदारी की, जिससे भारत ने फॉलोऑन से बचते हुए मैच में अपनी स्थिति मजबूत की।

इस साझेदारी के बाद, भारत अब जीतने के बारे में सोच सकता था, जो एक बड़ी राहत थी।

नितीश रेड्डी का ऐतिहासिक कारनामा: आठवें नंबर पर शतक
नितीश रेड्डी अब उन चुनिंदा खिलाड़ियों में शामिल हो गए हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में आठवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए शतक लगाया। भारत के लिए रविचंद्रन अश्विन ने भी इस क्रम पर 4 शतक लगाए हैं, लेकिन इस रिकॉर्ड में सबसे आगे हैं न्यूजीलैंड के डेनियल वीटोरी, जिन्होंने आठवें नंबर पर खेलते हुए 5 शतक लगाए। नितीश का यह शतक भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बन चुका है, और उनकी बल्लेबाजी ने उन्हें आलोचकों के सामने एक नया सितारा बना दिया है।

नितीश की पारी: 172 गेंदों में 100 रन, 10 चौके और 1 छक्का

नितीश ने अपनी शानदार पारी में 172 गेंदों पर 100 रन बनाए, जिसमें 10 चौके और 1 छक्का शामिल था। यह पारी न केवल उनके तकनीकी कौशल का प्रमाण थी, बल्कि उनके आत्मविश्वास और मानसिक मजबूती को भी दर्शाती है। ऐसे समय में जब पूरी टीम दबाव में थी, नितीश ने संयम और साहस का परिचय देते हुए मैच को पलटने का प्रयास किया।

नितीश रेड्डी: भारत के लिए इस सीरीज के सबसे बड़े रन स्कोरर

इस सीरीज में नितीश रेड्डी अब तक भारत के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बन गए हैं। उनका योगदान भारतीय टीम के लिए न केवल मूल्यवान रहा, बल्कि उनके प्रदर्शन ने यह भी साबित कर दिया कि भारतीय क्रिकेट को युवा खिलाड़ियों की ऊर्जा और प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।

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