संगम नगरी प्रयागराज में चल रहे आस्था के महापर्व महाकुम्भ में देश की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पावन डुबकी लगाई…और मां गंगा, यमुना और अदृश्य मां सरस्वती का आशीर्वाद लेकर सनातनी आस्था को मजबूत आधार दिया….इसके साथ ही राष्ट्रपति मुर्मू अक्षयवट और बड़े हनुमान मंदिर में दर्शन-पूजन करेंगी….और आधुनिक भारत और डिजिटल युग के साथ धार्मिक आयोजनों को जोड़ने की पीएम मोदी और सीएम योगी की पहल को समर्थन देंगी… राष्ट्रपति मुर्मू डिजिटल महाकुंभ अनुभव केंद्र का अवलोकन करेंगी, जिसमें महाकुंभ मेले की विस्तृत जानकारी तकनीकी माध्यमों से यहां पहुचें देश-विदेश के श्रद्धालुओं को दी जाएगी…बता दें कि, एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति का स्वागत करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुंचे…राष्ट्रपति करीब आठ घंटे से अधिक समय तक संगम नगरी में रहेंगी….और शाम पौने छह बजे प्रयागराज से वापस नई दिल्ली के लिए रवाना होंगी….राष्ट्रपति का ये दौरा न केवल प्रयागराज के लिए ऐतिहासिक है, बल्कि देशभर के श्रद्धालुओं के लिए एक प्रेरणादायी क्षण है…राष्ट्रपति के दौरे से महाकुंभ के धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को एक नई ऊंचाई मिल रही है…बता दें कि इससे पहले भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने भी महाकुंभ में पावन स्नान किया था…
वीओ….एक तरफ जहाँ राष्ट्रपति के प्रयागराज में पहुचने से कुम्भ को नयी ऊचाई मिल रही है तो वहीँ दूसरी तरफ संगम नगरी की सड़के जाम से पट गई है…और श्रद्दालुओं के साथ स्थानीय लोगो का जाम के झाम में फंसकर बुरा हाल हो रहा है…हालाँकि प्रयाग राज प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है…लेकिन भीड़ इतनी है की,लोग घंटों जाम में फंस जा रहे हैं…जाम में सबसे ज्यादा बुजुर्गों और बच्चों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है…आलम ये है कि अगर लोग जाम में फंस जा रहे हैं तो कार और ड्राइवर छोड़कर पैदल ही निकल जा रहे हैं…
वीओ….बता दें कि, महाकुम्भ के 29वें दिन भी संगम नगरी में श्रद्दालुओं के तांता लगा है…महाकुंभ, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, आध्यात्मिक ज्ञान, और सामाजिक समरसता का प्रतीक है. ये मेला साधु-संतों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. महाकुंभ में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और पाप धुल जाते हैं… मान्यता है कि, महाकुंभ हर 144 साल में एक बार लगता है. महाकुंभ में स्नान करने से 1000 अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है. इसके अलावा कुंभ मेला आध्यात्मिक ज्ञान, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सामाजिक समरसता का भी प्रतीक माना जाता है…१३ जनवरी से चल रहे महाकुंभ में अब तक 42 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पावन डुबकी लगाई है… माघ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी पर संगम में स्नानार्थियों की संख्या एक करोड़ के आंकड़ें को पार कर गई