महाकुंभ 2025 सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि देश-विदेश में चर्चा का विषय बन चुका है। हालांकि, उत्तर प्रदेश में यह महाकुंभ केवल धर्म तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राजनीतिक मंच भी बन गया है। यह बात सिर्फ हम नहीं कह रहे, बल्कि उत्तर प्रदेश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियाँ इसे राजनीतिक रंग देने में जुटी हुई हैं।
महाकुंभ की शुरुआत में ही अतीक अहमद के हत्यारों के पोस्टर लगने से उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई थी। इसके बाद, समाजवादी पार्टी ने महाकुंभ में पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा लगाई, जिसे लेकर सत्ताधारी पार्टी भाजपा लगातार सवाल उठा रही है। भाजपा का आरोप है कि महाकुंभ एक धार्मिक आयोजन है, और समाजवादी पार्टी इसे राजनीति के लिए इस्तेमाल कर रही है। सत्ताधारी दल का सवाल था कि महाकुंभ जैसे धार्मिक पर्व पर मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा लगा कर समाजवादी पार्टी क्या संदेश देना चाहती है?
वहीं, महाकुंभ के 9वें दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संगम में डुबकी लगाई और पूजा अर्चना की। इस दौरान, उन्होंने अपनी पूरी कैबिनेट के साथ महाकुंभ में डुबकी लगाई और इसके बाद प्रयागराज में ही कैबिनेट बैठक की। इस बैठक में उत्तर प्रदेश के विकास को लेकर कई अहम ऐलान किए गए। सीएम योगी ने कहा कि प्रयागराज और आसपास के क्षेत्रों के सतत विकास के लिए एक विशेष विकास क्षेत्र स्थापित किया जाएगा। इस क्षेत्र के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए गंगा एक्सप्रेसवे का विस्तार किया जाएगा, जो प्रयागराज से मिर्जापुर होते हुए भदोही, काशी, चंदौली और गाजीपुर के क्षेत्रों को जोड़ते हुए पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएगा। इसके अलावा, वाराणसी और चंदौली से गंगा एक्सप्रेसवे सोनभद्र को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ेगा।
सीएम योगी ने तीन प्रमुख नगर निगमों – प्रयागराज, वाराणसी और आगरा के लिए बॉन्ड जारी करने का भी ऐलान किया। उनका कहना था कि इससे इन नगर निगमों में विकास को गति मिलेगी और उनके इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जा सकेगा।
वहीं, दूसरी ओर समाजवादी पार्टी भी पीछे नहीं रही। बुधवार को पार्टी ने जनेश्वर मिश्र की पुण्यतिथि मनाई, जिसमें सपा मुखिया अखिलेश यादव भी शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने जनेश्वर मिश्र को श्रद्धांजलि अर्पित की और भाजपा सरकार को निशाने पर लिया। अखिलेश यादव ने महाकुंभ में हो रही योगी कैबिनेट की बैठक को राजनीति करार दिया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ एक धार्मिक अवसर है, न कि राजनीति का मंच। भाजपा सरकार महाकुंभ का राजनीतिक इस्तेमाल कर रही है। साथ ही, उन्होंने पुलिस-प्रशासन पर भी सवाल उठाए और मिल्कीपुर चुनाव में भाजपा के रवैये को लेकर सरकार को घेरा।
इस प्रकार, महाकुंभ 2025 न केवल धार्मिक आयोजन बनकर रह गया है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश की राजनीति का अहम हिस्सा भी बन चुका है। धर्म, राजनीति और विकास का यह संगम आगामी दिनों में प्रदेश की राजनीति में और भी हलचल पैदा कर सकता है।