यूपी उपचुनाव की सरगरमियां तेज हो गई है. आज प्रत्याशियों के नामांकन के लिए आखिरी दिन था ऐसे में सभी पार्टीयों ने बड़ी सूझ बूझ के साथ अपने प्रत्याशीयों को चुनाव मैदान में उतारा है. बता दें कि यह उपचुनाव सीएम योगी के लिए एक अग्निपरिक्षा बन गया हैं क्योंकि जिस तरह से सपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को धूल चटाया था उसे देखते हुए बीजेपी ने अपनी कमर कस ली है. वहीं अपने गिरते हुए सांख को बचाने के लिए 14 सालों के बाद बसपा यूपी उपचुनाव में वापसी की है. जिससे सपा की मुश्कीलें बढ़ गई है . क्योंकि भले ही बसपा उपचुनाव में सीटें ना जीत पाए लेकिन सपा के बढ़ते हुए कूनबे को जरूर नुकसान पहुंचा सकती है. वहीं बीजेपी ने भी लोकसभा चुनाव से सीख लेकर यूपी उपचुनाव में जीतिय समीकरण को भेदने की कोशिश की है. जिससे सपा के पीडिए को भेदा जा सके. बता दें कि इस उपचुनाव में सभी पार्टीयों ने जातिय समीकरण के आधार पर ही अपने प्रत्याशियों को चुनावी मौदान में उतारा है.
आइये जानते हैं क्या है पार्टियों के जातीय समीकरण की राजनीति-
मंझवा सीट से बीजेपी ने पूर्व विधायक सुचिस्मिता मौर्या को उतारा है, जिनका सामना सपा की ज्योति बिंद से है. मझवां सीट पर बिंद, ब्राह्मण और मौर्य समुदाय के वोट बराबर है. सपा ने बिंद समाज पर भरोसा जताया तो बीजेपी ने मौर्य का कार्ड चला है. बीजेपी 2017 में इस रणनीति के तहत मझवां सीट पर जीत का परचम फहराने में कामयाब रही थी. वहीं बसपा ने ब्राह्मण समाज को भेदने के लिए दीपू तिवारी को उतारा है.
फूलपुर सीट पर बीजेपी ने दीपक पटेल को प्रत्याशी बनाया है, जिनके सामने सपा से मुज्तबा सिद्दीकी चुनाव लड़ रहे हैं. सपा ने यादव-मुस्लिम केमिस्ट्री बनाने की कोशिश की है तो बीजेपी ने कुर्मी समुदाय पर भरोसा जताया है. बीजेपी कुर्मी दांव से 2017 और 2022 में फूलपुर की चुनावी जंग जीत चुकी है और फिर से उसी विनिंग फॉर्मूले को आजमा रही है. वहीं बाएसपी ने फूलपुर सीट से जितेंद्र ठाकुर को प्रत्याशी घोषित किया है बसपा के ठाकुर को प्रत्याशी बनाने के पीछे पार्टी ने जातीय समीकरण को साधने की रणनीति बनाई है.
बीजेपी ने ओबीसी के साथ-साथ ब्राह्मण, ठाकुर और दलित केमिस्ट्री बनाने की कोशिश की है, जिसके तहत गाजियाबाद सदर पर ब्राह्मण समाज से आने वाले संजीव शर्मा को प्रत्याशी बनाया है, तो वहीं आज समााजवादी पार्टी ने गाजियाबाद से श्री सिंह राज जाटव को प्रत्याषी बनाया है अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट पर बीजेपी ने सुरेंद्र दिलेर को कैंडिडेट बनाया है, जो दलित जाति से आते हैं. खैर सीट दलित सुरक्षित सीट है. तो वहीं सपा ने चारू कैन को जो की कांग्रेस की नेता है वो सपा के सिंबल पर खैर सीट से चुनाव लड़ेगीं
कुंदरकी सीट से बीजेपी ने रामवीर सिंह को उतारा है, जो ठाकुर समुदाय से आते हैं. कुंदरकी सीट से रामवीर सिंह तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन अभी तक उन्हें जीत नहीं मिली. मुस्लिम बहुल सीट होने के चलते कुंदरकी में सपा ने पूर्व विधायक हाजी रिजवान पर भरोसा जताया है. इस तरह से एक बार फिर हाजी रिजवान बनाम रामवीर सिंह के बीच मुकाबला बन गया है. तो वहीं सपा का खेल बिगाड़ने के लिए बसपा ने कुंदरकी सीट से रफातउल्लाह उर्फ छिद्दा को चुनावी मैदान में उतारा है.
मैनपुरी के करहल सीट जो की सपा गढ़ मानी जाती है जहां सपा ने तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार बनाया है जो की अखिलेश याहव के चाचा है. तो वहीं सपा का खेल बीगाड़ने के लिए बीजेपी ने मुलायम के परिवार से अनुजेश यादव को मैदैन में उतारा है. बात करें ब,पा की तो बसपा ने अवनीश कुमार शाक्य को करहल से उम्मीदवार घोषित किया है.
भाजपा ने इस सीट पर पूर्व मंत्री धर्मराज निषाद को उतार कर सपा को घेरने का प्रयास किया है। तो वहीं सपा ने भी शोभावती वर्मा को कटेहरी से उम्मीदवार बनाकर महिला वोटरों को भेदने की कोशिश की है. तो वहीं बसपा ने भी अमित उर्फ जितेंद्र वर्मा को प्रत्याशी बनाया है जिससे ओबीसी वोटर्स बीएसपी की तरफ आकर्षित हो सके.