सदन से उठाकर बाहर फेंके गए थे विजेंद्र गुप्ता, अब स्पीकर बनकर लौटे

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दिल्ली में बीजेपी की सरकार बन चुकी है। सीएम रेखा गुप्ता के साथ ही नई सरकार में छह मंत्री शपथ ले चुके हैं। तो वही दिल्ली में बीजेपी के वरिष्ठ नेता विजेंद्र गुप्ता इस बार स्पीकर पद के शपथ लिए है जी हा विजेंदर गुप्ता गुप्ता रोहिणी से विधायक बने हैं। 61 वर्षीय विजेंद्र गुप्ता इन चुनावों में रोहिणी निर्वाचन क्षेत्र से 37 हजार से ज्यादा मतों से जीतकर आए हैं। इससे पहले वह रोहिणी से ही तीन बार निगम पार्षद भी रहे हैं भाजपा के विजेंद्र गुप्ता को दिल्ली विधानसभा का स्पीकर बनाया गया है। यह पल एक नाटकीय बदलाव सा लगता है,विजेंदर गुप्ता 2015 में मार्शलों द्वारा सदन से घसीटकर बाहर किया गया था। आज वही नेता उसी सदन में स्पीकर होंगे। आइए जानते हैं क्या वजह थी।

साल 2019 में दिल्ली विधानसभा में प्याज के बढ़ते दामों को लेकर सदन में चर्चा करना चाह रहे थे, लेकिन बीजेपी के विधायकों की मांग को विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने खारिज कर दिया। मांग खारिज होने के बाद भी वो अपनी मांग पर अड़े रहे। इसके चलते विजेंद्र गुप्ता को मार्शलों की मदद से सदन से बाहर करवा दिया गया था। इसके बाद पार्टी के अन्य सदस्य भी वॉकआउट कर गए थे।

आपको बता दें साल 2017 में विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता कथित जमीन घोटाले के दस्तावेज लेकर पहुंचे थे और वो सदन में उसपर बहस की मांग कर रहे थे, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने इसकी इजाजत नहीं दी।स्पीकर पद पर उनके नाम की घोषणा पर उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा का स्पीकर होना खुशी की बात है। पार्टी ने एक जिम्मेदारी दी है जो अब मुझे निभानी है। हालांकि उनके शब्द उनकी टोन से मेल नहीं खा रहे थे। सीएम न हो पाने की टीस के मनोभाव शब्दों का बैरियर तोड़कर साफ कहते–से लग रहे थे कि मन तो किसी और पद का था। उनका ऐसा मन होना गलत भी नहीं था।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष से लेकर नेता विपक्ष
इससे पहले वह 2010 से 2013 के बीच दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं और सदन में विपक्ष के नेता भी। पहले के चुनावों में उनके सीएम पद का मैटीरियल होने की बात भी होती रही है। यह और बात है कि बीजेपी पिछले कुछ चुनाव जीत ही नहीं पाई। जब उनसे खुलकर पूछा कि पिछले दिनों उनका नाम भी सीएम की रेस में चल रहा था। क्या वह मुख्यमंत्री नहीं बनना नहीं चाहते थे या फिर उन्हें नहीं लगा कि उन्हें भी बनाया जा सकता है? वह मायूस स्वर में कहते हैं कि अब तो सारे फैसले हो चुके हैं। जो नई सीएम बन रही हैं, उनको मेरी शुभकामनाएं।

संवैधानिक परंपराओं के निर्वहन की बात
तो वही बातचीत में आगे बतौर स्पीकर अपनी प्राथमिकताओं की चर्चा करते विजेंद्र गुप्ता कहते हैं कि सदन सुचारू रूप से चले, साफ-स्वच्छ वातावरण और हेल्दी डिस्कशन्स हों, संवैधानिक परम्पराओं और व्यवस्थाओं की मर्यादा कायम रहे यही प्राथमिकता लेकर चलूंगा। विजेंद्र गुप्ता पिछले कई बरसों से विधानसभा में साक्षी रहे हैं। इस सवाल के जवाब में कि स्पीकर के संबंध में ऐसी कौन–सी कमियां देखीं जो आप नयापन लाना चाहेंगे वह कहते हैं कि जो पार्टी अब तक सरकार में थी उसने कभी अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह ठीक से नहीं किया। सदन को एक तरह से उन्होंने पंगु बनाया हुआ था।

आप पर मर्यादा के उल्लंघन का आरोप
आम आदमी पार्टी ने कभी भी सदन के नियमों, कानूनों और मर्यादाओं का पालन ही नहीं किया। उन्होंने सदन को एक पॉकेट ऑर्गेनाइजेशन बना डाला था। अब भारतीय जनता पार्टी की सरकार है जो सदन की गरिमा को फिर से कायम करेगी। तो पद की गरिमा को दोबारा स्थापित करने के लिए क्या नया करेंगे। इस पर वह कहते हैं कि पद की शपथ लेकर काम शुरू कर दूं फिर आपको बुलाकर पूरी जानकारी दूंगा। विजेंद्र गुप्ता ने इन चुनावों में केजरीवाल सरकार की हार का मुख्य कारण बताते हुए कहा कि उन्होंने जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को ईमानदारी से नहीं निभाया यही उनकी हार का सबसे बड़ा कारण है।

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