2008 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया जा चुका है. कल देर रात उसे एनआईए कोर्ट (NIA Court) के सामने पेश किया गया, जहां से उसे 18 दिनों की NIA की कस्टडी में भेज दिया गया. तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मोदी सरकार की बड़ी कूटनीतिक सफलता के तौर पर देखा जा रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी के वाराणसी दौरे के दौरान भी तहव्वुर राणा की चर्चा है. तहव्वुर राणा के पोस्टर पीएम की जनसभा में देखे गए.
आपको बता दें कि पीएम मोदी की वाराणसी की जनसभा में कुछ लोग तहव्वुर राणा के पोस्टर लेकर पहुंचे थे. इन पोस्टर में लिखा था- “कई होंगे बेनकाब, सबका होगा हिसाब.” पोस्टर में एक तरफ पीएम मोदी की फोटो लगी है तो दूसरी तरफ गृहमंत्री अमित शाह की. पोस्टर पकड़े लोग ‘मोदी-मोदी’ के नारे भी लगा रहे थे.
पीएम मोदी, अमित शाह और तहव्वुर राणा की फोटो वाला पोस्टर तैयार करने वाले लोग बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के बताए जा रहे हैं. उन्होंने राणा को वापस लाने के लिए पीएम मोदी की तारीफ की है. साथी ही मुंबई हमले के आरोपी को सख्त से सख्त सजा देने की मांग की है
मालूम हो कि तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है. वह पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर रह चुका है. वह 1997 में कनाडा चला गया था, जहां 2001 में उसे और उसकी पत्नी को कनाडा की नागरिकता मिल गई थी. वह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है. इस संगठन का 26/11 मुंबई हमले में हाथ है.
तहव्वुर राणा, डेविड कोलमैन हेडली का करीबी था, जो मुंबई हमले का मुख्य साजिशकर्ता है. हेडली ने मुंबई में कई बार रेकी की थी. तहव्वुर ने उसकी लॉजिस्टिक और वित्तीय सहायता की थी. एनआईए ने सबूत के तौर पर राणा और हेडली के बीच कई ईमेल पेश किए हैं, जिनमें हमले की योजना और अन्य आतंकियों की संलिप्तता का जिक्र है