आगरा। आगरा की धरती एक बार फिर सुर्खियों में हैं। आगरा में आज लाल रंग का रैला नजर आया। क्योंकि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आज अपने सांसद रामजीलाल सुमन से मिलने उनके आवास पहुंचे थे।
अखिलेश यादव पहुंचे तो दलित सांसद के समर्थन में थे लेकिन आगरा पहुंचते ही अखिलेश ने एक ऐसा बयान दे दिया। जिससे देश की सियासत में हड़कंप मच गया। अखिलेश यादव ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि, फूलन देवी की तरह उन्हे भी गोली मारी जा सकती है।
अखिलेश यादव की हो सकती है हत्या ?
सपा प्रमुख अखिलेश ने फूलन देवी पर हुए अत्याचारों पर बात करते हुए कहा कि, फूलन देवी का भी एक अलग इतिहास है। शायद धरती पर, दुनिया के इतिहास में इतनी प्रताड़ना इतना अपमान किसी महिला का हुआ होगा। अखिलेश यादव ने चिंता जताते हुए कहा कि, जैसे फूलन देवी को गोली मारी गई थी। वैसे ही उनकी भी गोली मारकर हत्या करवाई जा सकती है।
अब सवाल ये है कि, क्या अखिलेश की ये चिंता वास्तव में चिंता है या फिर अखिलेश का कोई पॉलिटिकल दांव। क्योंकि, फूलन देवी निषादों की मसीहा मानी जाती हैं। क्या ऐसा तो नहीं कि, अखिलेश यादव ने एक ही साथ दलित और मल्लाहों को साधने की कवायद शुरू कर दी।
सियासत में एक बार फिर फूलन देवी के नाम की चर्चा
उत्तर प्रदेश में भले ही विधानसभा चुनाव साल 2027 में होने हों, लेकिन इससे पहले ही यहां का सियासी पारा हाई है। बीजेपी और सपा के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिल रही है। इस बीच यूपी की सियासत में एक बार फिर फूलन देवी का नाम चर्चा में आ गया है। चर्चा में आने की वजह अखिलेश यादव का बयान है। अखिलेश यादव ने आगरा पहुंचते ही फूलन देवी की हत्या का मुद्दा उठाते हुए खुद को गोली मारने की धमकी को साजिश से जोड़ा।
क्या बोले सपा चीफ अखिलेश यादव?
अखिलेश यादव कहा कि हमारे मित्र फूलन देवी का नाम ले रहे हैं। फूलन देवी का इतिहास अलग था। शायद धरती पर, या दुनिया के इतिहास में, किसी महिला को इतना अत्याचार, अपमान और अन्याय नहीं सहना पड़ा होगा, जितना उसने झेला। अखिलेश यादव ने एक फ्लाइट में फूलन देवी की बायोपिक बैंडिट क्वीन के निर्देशक शेखर कपूर से मुलाकात को भी याद किया, और उनके चाचा, जो उनके साथ थे, ने फिल्म निर्माता से पूछा कि उन्होंने फिल्म के अंत में मुलायम का नाम क्यों नहीं लिया।
अखिलेश ने आगे कहा कि आपने नेताजी (मुलायम) और ‘समाजवादियों’ का नाम क्यों नहीं लिया? अखिलेश यादव ने याद किया कि उनके चाचा ने शेखर कपूर से पूछा था। उन्होंने कहा कि यह तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार थी जिसने बेहमई नरसंहार में शामिल फूलन देवी और अन्य डकैतों के खिलाफ मामले वापस ले लिए थे।
फूलन देवी को राजनीति में लाए थे नेताजी- अखिलेश
अखिलेश यादव ने कहा कि डकैतों ने आत्मसमर्पण के लिए शर्त रखी थी कि उन्हें जेल से रिहा किया जाए। फूलन देवी को छोड़कर सभी को रिहा कर दिया गया। इसलिए नेताजी ने उनके खिलाफ दर्ज मामले वापस ले लिए। अखिलेश यादव ने कहा कि फूलन देवी, जो बाद में राजनीति में शामिल हो गईं। अखिलेश यादव ने कहा कि सपा के संस्थापक मुलायम सिंह ने साल 1996 और 1999 में दो बार भदोही से चुनाव लड़ाया और फूलन देवी को संसद भेजा।