रिटायर हो रहे हैं प्रशांत कुमार, अब कौन संभालेगा DGP की कमान,इन नामो पर चर्चा हुई तेज !

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उत्तर प्रदेश में डीजीपी की नियुक्ति को लेकर असमंजस बना हुआ है. अभी ये तय नहीं है कि डीजीपी नई यूपी कैबिनेट से पास नियमावली से होगा या UPSC में पैनल भेजकर होगा, क्योंकि डीजीपी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मार्च में होने वाली सुनवाई टल गई है. वर्तमान डीजीपी प्रशांत कुमार आगामी 31 मई को रिटायर हो रहे हैं. उनके सेवा विस्तार की संभावना भी बनी हुई है.

फिलहाल, अब सरकार पर निर्भर करेगा कि डीजीपी की नियुक्ति कैबिनेट के नए नियम से होगी या यूपीएससी में भेजे गए पैनल से होगी. हालांकि, गृह विभाग की ओर से अब तक UPSC को कोई पैनल नहीं भेजा गया है. नई नियमावली के तहत डीजीपी चयन समिति का गठन भी अभी लंबित है. कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी इस दौड़ में बताए जा रहे हैं.

रूल 16 में प्रावधान है कि किसी भी अधिकारी को तीन महीने का एक्टेंशन गवर्मेंट ऑफ इंडिया के परमिशन से दिया जा सकता है. इसके लिए अधिकारी रिपोर्ट या कमेटी में हो तो आसानी से एक्सटेंशन मिल जाता है.

हालांकि, डीजीपी की नियुक्ति के लिए यूपी कैबिनेट से पास नई नियमावली के मुताबिक, डीजीपी का चयन उनकी सेवा अवधि, सामान्यतः अच्छे सेवा रिकॉर्ड और अनुभव की सीमा के आधार पर किया जाएगा. डीजीपी बनने का मौका उन्हें ही मिलेगा, जिनके पास पद रिक्त होने की तारीख से छह महीने की सेवा बची हो. इसी महीने मई के अंत में तीन डीजी रैंक के अधिकारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं. इनमें डीजीपी प्रशांत कुमार के साथ डीजी जेल पीवी रामाशास्त्री और डीजी टेलीकॉम संजय एम. तरड़े शामिल हैं. इसके बाद आईपीएस अफसरों की वरिष्ठता सूची में अहम बदलाव होगा, जिसके बाद संदीप सांलुके, दलजीत सिंह चौधरी, रेणुका मिश्रा का नाम सूची में शीर्ष पर आ जाएगा.

इसके बाद एमके बशाल, तिलोत्तमा वर्मा, आलोक शर्मा, पीयूष आंनद और राजीव कृष्ण का नाम है. इनमें से दलजीत सिंह चौधरी, अतुल शर्मा और राजीव कृष्ण को डीजीपी के पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है. दलजीत सिंह चौधरी वर्तमान में बीएसएफ के डीजी हैं, जबकि आलोक शर्मा एसपीजी की कमान संभाल रहे हैं. दोनों अधिकारियों की सेवानिवृत्ति में छह माह से अधिक का समय बाकी है.

राजीव कृष्ण यूपी पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष के साथ विजिलेंस के निदेशक भी हैं. उनकी सेवानिवृत्ति में अभी चार वर्ष शेष हैं. इनके सेवाकाल में अभी छह महीने से अधिक का समय बाकी है. इसके अलावा तिलोत्तमा वर्मा लंबे समय तक सीबीआई में भी तैनात रह चुकी हैं. उनके पति आशीष गुप्ता भी यूपी कैडर के आईपीएस थे, हालांकि उन्होंने बीते महीने वीआरएस के लिए आवेदन किया था जो मंजूर हो गया था.

वरिष्ठता सूची में आईपीएस तिलोत्तमा का नाम सबसे ऊपर है. यदि राज्य सरकार उनको मौका देती है तो प्रदेश में पहली बार कोई महिला आईपीएस डीजीपी बनेगी. अब देखना होगा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार इनमें से किस अधिकारी का चयन करती है.

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