करोना महामारी के बाद सबसे ज्यादा चर्चा अब मंकीपॉक्स की हो रही है जो तेजी से फैल रहा है. बता दें कि मंकीपॉक्स एक ऐसी महामारी है जो जानवरों के संपर्क के आने से इंसानों में फैलती है. भारत में भी इस संक्रमण के 4 रोगी पाए गए है. जो लगातार स्वास्थय विभाग की चिंताए बढ़ाए हुए है. जिसके बाद भारत सरकार ने मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट जारी कर दिया है. साल 2022 से अब तक भारत में मंकीपॉक्स के कुल 30 मामले सामने आए हैं. आखिरी मामला मार्च 2024 में सामने आया था. भारत में मंकीपॉक्स का पहला मामला जुलाई 2022 में सामने आया था.
कैसे पता चला मंकीपॉक्स के बारे में-
1950 का दशक. दुनियाभर में पोलियो खतरनाक बीमारी बनती जा रही थी. वैज्ञानिक पोलियो के खिलाफ वैक्सीन बनाने की तैयारी में जुटे थे. वैक्सीन के ट्रायल के लिए वैज्ञानिकों को बंदरों की जरूरत थी. रिसर्च के लिए बड़ी संख्या में बंदरों को लैब में रखा गया. ऐसी ही एक लैब डेनमार्क के कोपेनहेगन में भी थी. 1958 में यहां लैब में रखे बंदरों में अजीब बीमारी देखी गई. इन बंदरों के शरीर पर चेचक जैसे दाने उभर आए थे. ये बंदर मलेशिया से कोपेनहेगन लाए गए थे. जब इन बंदरों की जांच की गई, तो इनमें एक नया वायरस निकला. इस वायरस को नाम दिया गया- मंकीपॉक्स.
मंकीपॉक्स के लक्षण-
लक्षण आमतौर पर संपर्क के 3-21 दिनों के भीतर दिखाई देते हैं। इनमें बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, सूजे हुए लिम्फ नोड्स, ठंड लगना और थकान शामिल हैं। अक्सर दाने विकसित होते हैं, जो चपटे घावों के रूप में शुरू होकर उभरे हुए उभार, छाले और फिर पपड़ी में बदल जाते हैं। मंकीपॉक्स के लिए इनक्यूबेशन अवधि आमतौर पर 6-13 दिन होती है, लेकिन 5 से 21 दिनों तक हो सकती है।