अपना घर हो, अपना आंगन हो, इस ख्वाब में हर कोई जीता है. इंसान के दिल की ये चाहत है कि एक घर का सपना कभी न छूटे.’ ये वो लाइने है जिसका इंतज़ार तमाम वो लोग कर रहे थे जिनका आशियाना बुलडोज़र से ढहा दिया गया या यूँ कहे कानून की धनजियां उड़ाने वाली सरकार ने कानून के तहत काम न करके तमाम आरोपियों और बेगुनाहों का घर तोड़ दिया। जी हां मनमाने बुलडोजर एक्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश को यूपी सरकार के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2022 की रैली में बुलडोजर को अपना चुनावी सिंबल भी बना लिया था. उनकी हर रैली में बुलडोजर रखा जाता था और उसे दिखाकर योगी लोगों से अपील करते थे. उन्हें सियासी गलियारों में बुलडोजर बाबा की उपाधि दी गई थी. योगी भी इस उपाधि से खूब खुश थे और अपनी कार्रवाई को बेहतरीन कार्रवाई बताते रहे.हाल ही में बुलडोजर एक्शन पर मचे घमासान पर योगी ने कहा था कि इसे चलवाने के लिए दिल और जिगरा की जरूरत होती है. इतना ही नहीं, योगी अपनी हर रैली में बुलडोजर एक्शन की बखान करते रहे हैं. उनके इस बखान पर दर्शक ताली भी खूब पीटते रहे हैं, लेकिन अब सुप्रीम फैसले के बाद योगी आदित्यनाथ को अपनी छवि को मजबूत करने के लिए कोई और उपाय करने होंगे. क्यूंकि उनकी राजनीति बुलडोज़र के इर्द गिर्द ही घूमती थी और यूपी में 2 साल बाद विधानसभा के चुनाव होने है.क्योंकि जिस बुलडोज़र पर योगी छाती पीटते थे अब उसी बुलडोज़र पर सुप्रीम कोर्ट का बुलडोज़र चल गया है.
जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आरोपी व्यक्ति को दोषी ठहराने का अधिकार न तो राज्य के पास है और न ही कार्यपालिका के पास. कोर्ट ने कहा कि हम न्याय करने के लिए बैठे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बिना नियम अगर किसी का घर तोड़ा जाता है तो संबंधित अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. कोर्ट ने उन्हीं अधिकारियों से मुआवजा को लेकर जुर्माना वसूलने की बात कही है. अनुच्छेद 142 के तहत फैसला सुनाते हुए सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि सभी राज्य बुलडोजर एक्शन को लेकर सर्कुलेशन जारी करे और अपने अधिकारियों को हिदायत दें. ऐसा न करना कोर्ट का अपमान होगा. कोर्ट ने ये भी कहा ध्वस्तीकरण के आदेश पारित होने के बाद भी, ध्वस्तीकरण के आदेश को चुनौती देने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए। उन लोगों भी जगह खाली करने के लिए पूरा समय दिया जाना चाहिए जो ध्वस्तीकरण आदेश का विरोध नहीं करना चाहते हैं।
पूर्व नोटिस दिए बिना कोई भी तोड़फोड़ नहीं की जानी चाहिए। जिसका जवाब नोटिस देने के 15 दिनों में दिया जाना चाहिए। नोटिस को डाक से भी भेजना होगा और निर्माण पर भी चिपकाया जाना चाहिए। तोड़फोड़ की कार्यवाही की वीडियोग्राफी की जाएगी। ध्वस्तीकरण की रिपोर्ट नगर आयुक्त को भेजी जानी चाहिए
मतलब जो बात विपक्ष कहता आ रहा था जो बात पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कहते आ रहे थे.. वो सच साबित हुई और उसपर अब सुप्रीम मोहर लग गई है बता दे अखिलेश यादव ने शुरू से ही बुलडोज़र करवाई को लेकर हमेशा से सवाल उठाये और करवाई असवैधानकी बताते रहे..अब कोर्ट के फैसले के बाद भी अखिलेश ने योगी सरकार को घेरा
वहीँ अब कोर्ट के फैसले के बाद योगी सरकार पर सवाल भी उठ रहे हैं… क्यूंकि जिस तरह से बुलडोज़र के जरिये देश के कानून का मज़ाक बनाया गया.. उसकी चर्चा पूरी दुनिया में हुई मतलब देश के कानून का मज़ाक पूरी दुनिया में बनाया गया…दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश जिसकी मिसाल पूरी दुनिया में दी जाती है जिस देश में बाकायदा सविंधान की शपथ लेकर नेता बड़े बड़े पदों पर बैठते है फिर निर्णय लेते है… लेकिन उसी सविंधान की धनजियां उड़ाई गई जहाँ की योगी सरकार ने ये मान लिया था की वही जज है… वही सारे फैसला करेगी और आरोपियों पर किस तरह की करवाई की जाए यानी उन्हें क्या सजा दी जाए। .. यानी सविधान के नियम कायदे कानून के लिए कोई मायने नहीं रखता यही वजह रही की यूपी में बुलडोज़र राज चलता रहा.. वो भी सिर्फ अपने राजनितिक लाभ के लिए. 2017 में यूपी से ही बुलडोजर की कार्रवाई शुरू हुई थी. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बुलडोजर की कार्रवाई को अपना ट्रेंड मार्क बना लिया। धीरे-धीरे कार्रवाई का यह ट्रेंड देश के अलग-अलग राज्यों में शुरू होता गया.
बुलडोजर की कार्रवाई से उत्तर प्रदेश में मुसलमान मुखर नहीं थे. अब सियासी तौर पर मुखर होंगे और 2027 के चुनाव में बड़ी भूमिका निभाएंगे. पहले से ही पीडीए की वजह से बैकफुट पर चल रही योगी सरकार के लिए भी यह एक सियासी झटका साबित हो सकता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक 2017 से 2024 तक पूरे देश में 1900 से ज्यादा बुलडोजर की कार्रवाई हुई है. इनमें सबसे ज्यादा बुलडोजर की कार्रवाई यूपी में हुई है. उत्तर प्रदेश में पिछले 7 साल में बुलडोजर की करीब 1500 कार्रवाई हुई है. यूपी सरकार के मुताबिक ये सभी कार्रवाई अवैध निर्माण पर की गई है. वहीं याचिकाकर्ताओं का कहना था कि बुलडोजर की कार्रवाई मुसलमान आरोपी देखकर की गई है. वहीँ आपको बता दे यूपी के महाराजगंज में हाल ही में एक बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था. कोर्ट ने सरकार और उससे जुड़े अधिकारियों से पीड़ित परिवार को 25 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया था.ऐसे में यूपी सरकार अब सीधे यह भी नहीं कह पाएगी कि बुलडोजर सिर्फ अवैध निर्माण पर ही चलाया गया है.