यूं तो भाजपा पिछले 10 सालों से यूपी की सत्ता पर काबिज है. लेकिन उत्तर प्रदेश की एक ऐसी सीट है जहां भाजपा पैर से चोटी का भी जोर लगा लें लेकिन उस सीट को जीत पाना भाजपा के लिए मील का पथ्तर साबित हो गया है. आज भले ही भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी हो और केंद्र में हैट्रिक लगा चुकी हो लेकिन कहीं ना कहीं भाजपा भी अब उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनावों के लिए डरी हुई है. इस डर की वजह और कोई नहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव ही है जिन्हीने 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के पूरे सिस्टम को हिला कर रख दिया और बीजेपी को तगड़ी धुल चटाई.
क्योंकि जिस तरह से सपा ने 2024 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान 38 सीटें जीतकर सबकों चौकां दिया था अब उसे देखते हुए भाजपा भी अब अपने कदम फुंक फुंक कर चल रही है. और अपना पूरा दमखम झोंक रखा है तरह तरह के हथकंडे भी अपना रही है.फिर चाहे वो हिन्दू मुस्लिम ला हथकंडा हो या फिर सत्ता की हनक दिखानी हो. बता दें कि उत्तर प्रदेश में कुल 9 सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं लेकिन उन नवों सीटों में करहल के बाद सबसे ज्यादा चर्चा कानपुर की सीट सासामऊ की है जहां भाजपा पिछले 28 सालों से हारती हुई आ रही है. वहीं एक बार फिर से सपा ने अपना पीडीए वला दाव चला है जिसके तहत इरफान सोलंकी के बेटे नसीम सोलंकी को मैदान में उतारा है. क्योंकि यहां कुल लगभग 2 लाख 70 हजार वोटर हैं. इनमें मुस्लिम करीब 1 लाख हैं और ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के लगभग 60-60 हजार वोटर हैं. इस सीट पर मुस्लिम, ब्राह्मण और दलित वोटर मुख्य भूमिका निभाते हैं. सपा ने मुस्लिम कैंडिडेट नसीम सोलंकी को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, बसपा ने वीरेंद्र शुक्ला को और अब देखना होगा कि भाजपा क्या दाव चलती है…. हालाँकि जो रिपोर्ट्स निकल कर आ रही है वो ये है की अखिलेश के पीडीए का सामना करने ताकत अब बीजेपी में नहीं है… तभी बीजेपी की तरफ से काटोगे तो बाटोगे जैसे नारे दिए जा रहे हैं जो की जनता को बाटने और आपसी भाईचारा और माहौल बिगाड़ने का काम कर रहे है.
सासामऊ सीट का क्या है सियासी ?
वहीं इस सीट का सियासी इतिहास देखें तो पिछले विधानसभा चुनाव 2022 में इस सीट से सपा प्रत्याशी इरफान सोलंकी ने जीत हासिल की थी. इरफान सोलंकी ने 69,163 वोट हासिल किए थे और भाजपा प्रत्याशी सलिल विश्नोई को 66,897 वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी सुहेल अहमद 5,616 वोटों पर सिमट गए थे. साल 2017 और 2012 में भी इस सीट से सपा प्रत्याशी इरफान सोलंकी जीते ही थे. वहीं, साल 2007 और 2002 में कांग्रेस प्रत्याशी संजीव दरियाबादी जीते थे. इससे पहले 1996, 1993,1991 में लगातार बीजेपी के प्रत्याशी राकेश सोनकर यहां से जीते थे. मालूम हो कि 1985 में संजीव दरियाबादी की मां कमला भी यहां से चुनाव जीत चुकी हैं. मतलब तीन बार इस सीट पर कांग्रेस, तीन बार बीजेपी और तीन बार सपा जीत हासिल कर चुकी है.
हालांकि इन सब से परेह भले ही सपा पिछले 3 बार से जीतती हुई आ रही है. लेकिन युपी उपचुनाव में बसपा और ओवौसी की एंट्री से उपचुनाव काफी दिलचस्प हो गया है. माना जा रहा है कि बसपा जो कभी भी उपचुनाव नहीं लड़ी थी अभी तक वो सपा के वोट काटने के लिए मैदान में उतरी है. जिससे भाजपा को फायदा हो सकता है. वहीं ओवैसी की एंट्री से भी सपा की मुश्कीलें बढ़ती हुई दिख रही है. अब ये देखना दिलचस्प होगा की अखिलेश का पीडीए हावी रहता है. या फिर बीजेपी की बी टीमें बसपा और ओवैसी मिलकर बीजेपी को कितना फायदा पाएंगे. फिलहाल अभी सीसामऊ में रिपोर्ट्स के अनुसार सपा का पलड़ा भारी दिख रहा है. आगे क्या होगा ये तो 23 नवंबर को साफ हो ही जाएगा