अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने जीत दर्ज की है। ट्रंप ने अपनी प्रतिद्वन्द्वी कमला हैरिस को पछाड़ते हुए जीत के लिए जरूरी 270 इलेक्टोरल वोट के आंकड़े को पार कर लिया है। ट्रंप 2016 में चुनाव जीते थे और 2020 में हार के बाद अब 2024 जीते हैं। ऐसा 132 साल बाद हुआ जब अमेरिका में कोई व्यक्ति दूसरी बार प्रेसीडेंट बना है लेकिन उसने चुनाव लगातार नहीं जीता है। इससे पहले ग्रोवर क्लीवलैंड 1884 में और फिर 1892 में राष्ट्रपति बने थे। ग्रोवर के बाद अब ट्रंप दो गैर-लगातार कार्यकाल वाले राष्ट्रपति होंगे। वो पांच वजह हम आपको बता रहे हैं, जो ट्रंप की जीत में सबसे अहम रही हैं।
एलन मस्क और डोनाल्ड ट्रम्प
एलन मस्क ने डोनाल्ड ट्रंप का आधिकारिक तौर पर समर्थन 2022 के आखिर में शुरू किया जब ट्रंप ने आगामी चुनावों में अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की। हालांकि, यह एक ऐसे रिश्ते के बाद हुआ जो कई स्तरों पर अलग-अलग था, जिसमें मस्क का राजनीतिक रूप से तटस्थ होना, ट्रंप की आलोचना करना और उनका पूर्ण समर्थन करना शामिल था। मस्क ने उसी साल ट्रंप के प्रतिबंधित एक्स अकाउंट को भी बहाल कर दिया था, ठीक उसी समय जब उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म खरीदा था। इसके लिए उन्होंने एक सर्वेक्षण किया जिसमें पाया गया कि 51.8% उत्तरदाताओं का मानना था कि प्रतिबंध हटा दिया जाना चाहिए। संघीय खुलासे के अनुसार, उन्होंने अक्टूबर के पहले पखवाड़े में ही अपने ट्रम्प समर्थक व्यय समूह अमेरिका पीएसी को 43.6 मिलियन डॉलर का दान भी दिया।
H-1B वीजा
डोनाल्ड ट्रंप शुरू से ही घरेलु विकास, राष्ट्रवाद और सीमाओं की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध रहे हैं। ऐसे में अमेरिका के H-1B वीजा कार्यक्रम में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। ट्रंप के पहले शासन काल में H-1B वीजा की पात्रता की शर्तों को काफी सख्त कर दिया गया था।
ट्रंप के दोबारा आने के बाद इमिग्रेशन और H-1B वीजा की नीतियों में कठोर और प्रतिबंधात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इसका सीधा असर भारत के उन लोगों के ऊपर पड़ेगा जो अमेरिकी बाजार में नौकरी की तलाश कर रहे हैं। इसके अलावा जो लोग गैर कानूनी ढंग से मैक्सिको और कनाडा के रास्ते डंकी के जरिए अमेरिका में घुसते हैं उसको लेकर भी ट्रंप नए और सख्त नियम ला सकते हैं।
ट्रेड नीतियां
ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार में तेज आर्थिक विकास पर जोर दिया है। इस कारण दोबारा से सत्ता में लौटने के बाद ट्रंप उन्हीं व्यापार नीतियों पर जोर देंगे जो अमेरिकी केंद्रीत हैं। इसके अलावा अमेरिका भारत पर ट्रेड बैरियर्स और टैरिफ को कम करने के लिए जोर डालेगा। इसका सीधा प्रभाव भारत के आईटी, फार्मास्यूटिकल्स और टैक्सटाइल इंडस्ट्री पर देखने को मिलेगा। इसके अलावा ट्रंप शासन काल में रेसिप्रोकल टैक्स को भी लागू किया जा सकता है। इसका जिक्र उन्होंने चुनाव प्रचार में भी किया था।
डिफेंस
बीते सालों में भारत और अमेरिका के बीच सैन्य सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर कई बड़े समझौते हुए हैं। ट्रंप के दोबारा सत्ता में लौटने के बाद भारत अमेरिका के बीच सैन्य और रक्षा से जुड़े मसलों पर आगे भी कई बड़े समझौते हो सकते हैं। साउथ एशिया में चीन का बढ़ता वर्चस्व और उसकी विस्तारवादी नीतियों से मुकाबला करने के लिए दोनों देश एक साथ आगे आ सकते हैं। क्वाड जैसे समूह जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं उस पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।