संभल हिंसा सम्मलित सपा सांसद बर्क़ पर लटकी SIT की तलवार,क्या योगी के लिए बर्क़ है ‘नए आज़म खान’ !

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चर्चा है कि आजम खान की तरह जियाउर रहमान बर्क भी मुसीबतो में घिर सकते हैं. यह सवाल आज संभल में लगभग हर जुबान पर है क्योंकि जियाउर रहमान बर्क पर भी एक के बाद एक गंभीर आरोप लग रहे हैं. उन पर संभल की जामा मस्जिद हिंसा में शामिल होने की संभावना का आरोप है. संभल हिंसा में साजिश की जांच एसआईटी कर रही है और उसके हाथ अब बर्क तक भी पहुंचते दिख रहे हैं

एसआईटी ने आज जियाउर रहमान बर्क से 3 घंटे तक पूछताछ की. उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. पूछताछ में SIT यह जानने की कोशिश कर रही है कि क्या हिंसा के पीछे बर्क का हाथ था. इससे पहले जियाउर रहमान बर्क के संभल में बने निजी मकान में बिजली चोरी के मामले दर्ज किए गए थे. इसके अलावा उनके खिलाफ बिना नक्शे का कई मंजिला मकान बनाने और जमीन कब्जे का मामला भी दर्ज है.

बर्क पर लटक रही गिरफ्तारी की तलवार

सपा सांसद कई आरोपों में घिरे हुए हैं. हालांकि अभी तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है लेकिन उनके खिलाफ माहौल कुछ ऐसा है कि कभी भी कोई बड़ा एक्शन हो सकता है. आजम खान से उनके मामले की तुलना इसलिए हो रही है क्योंकि कुछ इसी तर्ज पर आजम खान पर भी आरोप लगे हैं और वो न सिर्फ जेल में हैं बल्कि सजायाफ्ता भी हैं.

जमीन कब्जे से लेकर भैंस चोरी तक के आरोप

आजम खान पर 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे की साजिश के आरोप लगे थे. फिर 2017 में जब योगी सरकार बनी तो उन पर जमीन कब्जे से लेकर भैंस चोरी तक के आरोप लगे. इतना ही नहीं, आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम पर भी दो-दो जन्म प्रमाण पत्र, जौहर यूनिवर्सिटी में शत्रु संपत्ति हथियाने और सरकारी जमीन हड़पने के आरोप लगे. इन्हीं आरोपों के चलते आज आजम खान इस हाल में हैं. वह न सिर्फ जेल में हैं बल्कि उनकी सियासत भी प्रदेश और रामपुर में लगभग खत्म हो चुकी है.

सपा में आजम खान और बर्क के कद की तुलना नहीं

अब जियाउर रहमान बर्क पर भी कुछ ऐसे ही मकदमे लग रहे हैं जिससे सियासी गलियों में यह चर्चा है कि कहीं बर्क अगले आजम खान तो नहीं. हालांकि दोनों नेताओं की तुलना नहीं हो सकती. आजम खान से जियाउर रहमान बर्क के कद की तुलना नहीं हो सकती. आजम खान समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में रहे हैं. उत्तर प्रदेश के मुस्लिम जनमानस पर उनका बड़ा प्रभाव रहा है जबकि जियाउर रहमान बर्क एक बार विधायक और उसके बाद पहली बार सांसद बने हैं.

सपा में बोलती थी आजम खान की तूती

आजम खान उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नीति निर्धारकों में रहे हैं. वह मुस्लिम सियासत के केंद्र में और भाजपा और विपक्षी पार्टियों के निशाने पर भी रहते हैं. समाजवादी पार्टी में एक वक्त पर आजम खान की तूती बोलती थी और उनकी सहमति के बिना पार्टी में कोई भी बड़ा फैसला नहीं होता था. आजम खान की इच्छा के बिना विधानसभा से लेकर लोकसभा और राज्यसभा तक में टिकट नहीं मिलते थे. लेकिन वक्त और हालात ने सब कुछ बदल दिया. आज आजम खान जेल में हैं और उनकी सियासत अर्श से फर्श पर आ गई है. पार्टी में भी वह सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गए हैं.

आजम खान और मुलायम सिंह यादव की केमिस्ट्री पार्टी में सबसे ऊपर हुआ करती थी. जब तक अखिलेश यादव की सरकार थी उन पर भी आजम खान का असर रहा. लेकिन अखिलेश यादव और बर्क का रिश्ता वैसा नहीं है. बावजूद इसके आज दोनों की तुलना क्यों हो रही है. सिर्फ इसलिए कि जो हाल आजम खान का इस वक्त दिखाई दे रहा है, कहीं वैसा ही हश्र जियाउर रहमान बर्क का भी न हो जाए.

 

 

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