नई दिल्ली। ईसाई समुदाय के सबसे बड़े धर्म गुरु 88 वर्षीय पोप फ्रांसिस का निधन हो गया. उनके निधन के बाद उनके लिए खास तीन ताबूत बनाने का काम भी शुरू हो गया है. पोप के लिए बहुत खास ताबूत बनाए जाते हैं. इनका बनना तभी शुरू होता है जबकि आधिकारिक तौर पर पोप के इंतकाल की खबर की पुष्टि करके इसकी घोषणा की जाती है.
आपको हम बताएंगे इन तीन ताबूतों के बारे में. और ये तभी कि ये कहां बनाए जाते हैं. कितने दिन में बनकर तैयार हो जाते हैं. पोप के लिए अंतिम संस्कार में उपयोग होने वाले ताबूत को विशेष रूप से तैयार किया जाता है. इसमें कैथोलिक परंपराओं और प्रतीकात्मकता का ध्यान रखा जाता है.
पोप का ताबूत होता है बहुत खास ?
पोप का ताबूत दुनिया के किसी भी ताबूत से अलग और खास होता है. क्योंकि पोप का पद धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है. हर पोप के निधन के बाद परंपरागत रूप से तीन ताबूतों की प्रणाली का उपयोग किया जाता है. इस प्रणाली में तीनों ताबूत एक के अंदर एक करके रखे जाते हैं. पहले सीसे का, फिर उसके ऊपर खास लकड़ी और सबसे बाहर ओक से बना हुआ.
पहला ताबूत… कैसा होता है ?
यह ताबूत सरू की लकड़ी से बनाया जाता है, ये लकड़ी देवदार जैसी होती है, इसे सादगी और नश्वरता का प्रतीक माना जाता है. सरू को बाइबिल में ‘अनंत जीवन’ और ‘पुनरुत्थान’ से जोड़ा जाता है. ये ताबूत सादा और बिना ज्यादा सजावट वाला होता है. इसमें कोई आंतरिक सजावट या कीमती धातु नहीं होती. इस ताबूत का इस्तेमाल पोप की मानवीय नश्वरता और सादगी को दिखाता है. पोप फ्रांसिस ने विशेष रूप से सादगी पर बल दिया, इसलिए उनका ताबूत और भी सादा हो सकता है.
ताबूत में पोप के शरीर के साथ कुछ प्रतीकात्मक वस्तुएं रखी जाती हैं. एक छोटा कपड़ा उनके चेहरे पर रखा जाता है. एक चमड़े का थैला जिसमें सिक्के और उनके कामों का एक छोटा सा दस्तावेज होता है. साथ में उनके शासनकाल की कुछ वस्तुएं, पादरी वस्त्र होता है.
दूसरा ताबूत… सीसा यानि लेड का बनता है ?
यह ताबूत सीसे का होता है, ये शव के संरक्षण में मदद करता है. इस पर पोप का नाम, शासनकाल की तारीख और वैटिकन का प्रतीक बना होता है. ये ताबूत पूरी तरह बंद कर दिया जाता है. सीसा स्थायित्व और सुरक्षा का प्रतीक है, जो पोप के शरीर को लंबे समय तक सुरक्षित रखता है. यह ताबूत भारी होता है और इसे पहले ताबूत के ऊपर रखा जाता है.
तीसरा ताबूत…मजबूत लकड़ी से बनाया जाता है ?
बाहरी ताबूत आमतौर पर एल्म या ओक की मजबूत लकड़ी से बनाया जाता है, जो स्थायित्व और गरिमा का प्रतीक है. इसकी सतह चमकदार और मजबूत होती है, लेकिन सजावट न्यूनतम रखी जाती है. इसमें एक साधारण क्रॉस और वैटिकन का प्रतीक हो सकता है. यह ताबूत बाहरी सुरक्षा प्रदान करता है और अंतिम दफन के लिए उपयोग होता है.
इस बार ताबूत में क्या बदलाव?
हाल के नियमों के अनुसार और पोप फ्रांसिस की इच्छा के अनुसार, उनके ताबूत को पहले की तरह तीन परतों में रखने की बजाय एक ही सादे ताबूत रख सकते हैं, ये देवदार यानि शायद सरू की लकड़ी का होगा, जिसमें न्यूनतम सजावट होगी.
कौन बनाता है ये ताबूत?
- ताबूत को वैटिकन के विशेष कारीगर या रोम के विश्वसनीय लकड़ी के कारीगर बनाते हैं.
- यह कार्य गोपनीय और सम्मानजनक ढंग से किया जाता है.
कब तैयार होता है?
ताबूत आमतौर पर पोप की मृत्यु के बाद तुरंत तैयार किया जाता है, क्योंकि अंतिम संस्कार 4-6 दिनों के भीतर होता है. हालांकि कुछ मामलों में वेटिकन पहले से ही सादा ताबूत तैयार रखता है.
क्या होती है ताबूत की लागत?
ताबूत की लागत को वेटिकन वहन करता है. यह सार्वजनिक रूप से प्रकट नहीं की जाती. पोप फ्रांसिस की सादगी को देखते हुए लागत को न्यूनतम रखा जाता है.
कब से शुरू हुआ तीन ताबूतों का उपयोग?
पोप जॉन पॉल द्वितीय का निधन वर्ष 2005 में हुआ. उनके अंतिम संस्कार में पारंपरिक तीन ताबूतों का उपयोग हुआ. पहला सरू का, दूसरा सीसा और तीसरा एल्म का था.