लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी और नवाबों का शहर कहे जाने वाले लखनऊ में महिलाएं सड़कों पर आने से डर रहीं हैं। शहर में कुल 10 लाख लोगों के पास ड्राइविंग लाइसेंस हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 9 लाख पुरुष है। जबकि महिला लाइसेंस धारकों की संख्या महज एक लाख ही है। महिलाओं के ड्राइविंग लाइसेंस की संख्या ऊंट के मुंह में जीरा है।
महिला दिवस पर चौंकाने वाली जानकारी
यह चौंकाने वाली जानकारी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को ट्रांसपोर्टनगर स्थित संभागीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) के फिटनेस सेंटर में सामने आई। एमवीडब्ल्यू समिति की ओर से पैनल चर्चा के दौरान सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) प्रदीप कुमार सिंह ने इस जानकारी को लोगों से साझा किया।
सड़कों पर आते हुए डरती हैं महिलाएं ?
एआरटीओ (प्रशासन) प्रदीप कुमार सिंह बताया कि महिलाएं अब भी सड़कों पर आते हुए डर रहीं हैं। लिमिटेड समय के लिए ही गाड़ी चला रहीं हैं। लाइसेंस का आंकड़ा ये दर्शाता है कि महिलाएं सड़कों पर कम हैं। आधी आबादी को अपने मुद्दों पर खुलकर बोलना होगा, तभी उनके समाधान निकाले जा सकेंगे। सड़कों पर सुरक्षा की बात हो या फिर कोई महिला सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा हो, उनको आगे आना ही होगा।
सरकारी विभागों में बढ़ रही संख्या
एसीपी नेहा त्रिपाठी ने कहा कि, अब सभी सरकारी विभागों में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। पुलिस विभाग में महिलाओं की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। महिलाओं की सुरक्षा का दायित्व महिला पुलिसकर्मी बखूबी निभा रही हैं। समाज के सामने एक अच्छा संदेश भी पेश कर रहीं हैं। उन्होंने कहा कि, सिर्फ पुलिस विभाग ही नहीं अन्य विभागों में भी महिलाओं की संख्या बढ़ रही है।
अधिकार मांगने के लिए आगे आ रहीं महिलाएं
समाज में महिलाएं अपना अधिकार मांगने के लिए आगे आ रहीं हैं। यह महिला सशक्तिकरण का बेहतरीन उदाहरण भी है। एडवोकेट प्रियंका शुक्ला ने कहा कि, पहले अधिवक्ता बनने में महिलाएं दिलचस्पी नहीं दिखाती थीं। उनका रुख कानून की पढ़ाई को लेकर संजीदा नहीं होता था, लेकिन अब पुरुषों के साथ ही अच्छी खासी तादाद में महिला वकील भी न्यायालय में वकालत के लिए आने लगी हैं।
महिलाएं महिलाओं को न्याय दिलाने में पुरुषों की तुलना में ज्यादा गंभीरता दिखाएंगी। इस मौके पर सीए चारु खन्ना, डॉ. श्रेया मैसी और एमवीडब्ल्यू समिति की तृप्ति सिंह समेत विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाली आधी आबादी ने महिलाओं को लेकर अपने विचार प्रकट किए।