महाकुंभ 2025 न सिर्फ आध्यात्मिक आस्था और श्रद्धालुओं के संगम का केंद्र बना, बल्कि इसने सैकड़ों नाविक परिवारों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत कर दी. दशकों से नाव चलाकर जीवन यापन करने वाले कई नाविकों की जिंदगी बदलने जा रही है. संजीत निषाद और बलवंत निषाद जैसे नाविक खुद अपनी कहानी सुना रहे हैं. वह कहते हैं यह महाकुंभ हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं रहा.
संगम किला घाट के पास नाव चलाने वाले संजीत कुमार निषाद की दो बेटियां हैं. उनकी शादी के लिए वे कई वर्षों से जतन कर रहे थे, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण असमर्थ थे. संजीत निषाद कहते हैं,’गंगा मैया की ऐसी कृपा बरसी कि महाकुंभ में नाव चलाकर इतनी कमाई हो गई कि अब अपनी बिटिया के हाथ पीले कर सकूंगा. समाज में हमारी इज्जत बनी रहेगी और परिवार का सपना पूरा होगा.’
संजीत ही नहीं, बल्कि बलवंत निषाद जैसे कई नाविकों के लिए भी यह महाकुंभ खुशियों का संदेश लेकर आया. पिछले तीन दशक से बलवंत निषाद बलुआ घाट और किला घाट के बीच नाव चलाते आ रहे हैं. परिवार की पीढ़ियां इस पेशे से जुड़ी रहीं, लेकिन अब तक सिर पर पक्की छत नहीं थी. बलवंत निषाद कहते हैं, अब तक हमारी ज़िंदगी पानी के भरोसे थी, लेकिन इस बार महाकुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या और कमाई इतनी बढ़ी कि अब पक्के घर का सपना साकार होगा. साथ ही, नई नाव भी खरीद सकूंगा.
हर 12 साल पर लगने वाले महाकुंभ में इस बार नाविकों के लिए सरकार ने एक विशेष योजना चलाई. प्रयागराज की क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अपराजिता सिंह के मुताबिक, नाविकों को समुदायिक सशक्तिकरण योजना के तहत विशेष स्किल ट्रेनिंग, आपदा प्रबंधन और डिजिटल पेमेंट की ट्रेनिंग दी गई. पर्यटन विभाग ने मान्यवर कांशीराम पर्यटन प्रबंधन संस्थान के सहयोग से 1000 से अधिक नाविकों को प्रशिक्षित किया, जिससे उनकी कमाई कई गुना बढ़ गई.