लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा महाकुंभ पर वक्तव्य दिए जाने के बाद विपक्षी सदस्यों ने उनके भाषण में प्रयागराज भगदड़ में मारे गए लोगों का उल्लेख नहीं होने तथा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को बोलने का अवसर देने की मांग करते हुए सदन में हंगामा किया जिसके कारण सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। हम आपको बता दें कि सदन में प्रश्नकाल पूरा होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ को लेकर एक वक्तव्य दिया जिसमें इस आयोजन को भारत के इतिहास में अहम मोड़ करार देते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया ने देश के विराट स्वरूप को देखा और यह ‘सबका प्रयास’ का साक्षात स्वरूप भी था, जिसमें ‘एकता का अमृत’ समेत कई अमृत निकले। प्रधानमंत्री का वक्तव्य पूरा होते ही विपक्षी सदस्यों ने सवाल-जवाब की मांग करते हुए और प्रयागराज में भगदड़ में मारे गए लोगों का उल्लेख नहीं किए जाने का हवाला देते हुए हंगामा शुरू कर दिया। कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के सदस्य चाहते थे कि राहुल गांधी को सदन में बोलने का मौका दिया जाए।
इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि नियम 372 के तहत प्रधानमंत्री और मंत्री स्वेच्छा से सदन में वक्तव्य दे सकते हैं और उस पर कोई सवाल-जवाब नहीं होता है। इस पर असंतोष जताते हुए विपक्षी सदस्य आसन के निकट पहुंचकर नारेबाजी करने लगे। हंगामे के कारण बिरला ने दोपहर करीब 12.30 बजे सदन की कार्यवाही एक बजे तक के लिए स्थगित कर दी। सदन की कार्यवाही फिर से शुरू होने पर विपक्ष का हंगामा जारी रहा। नारेबाजी के बीच ही, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा का जवाब दिया। उनके जवाब के बाद सदन ने इन्हें ध्वनिमत से मंजूरी दी। इसके बाद, पीठासीन सभापति संध्या राय ने जलशक्ति मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांग पर चर्चा शुरू करवाई और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल बोलने के लिए खड़े हुए, लेकिन विपक्ष के सांसदों की जोरदार नारेबाजी जारी रही। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि विपक्ष के लोग सदन से बाहर कहते हैं कि उन्हें बोलने का मौका मिलना चाहिए, जबकि सदन के अंदर आकर वे हंगामा करते हैं। उन्होंने कहा कि चर्चा के बाद जब मंत्री जवाब देते हैं तो विपक्ष के लोग उन्हें सुनना नहीं चाहते। हंगामा नहीं थमने पर संध्या राय ने लगभग दो बजे सदन की कार्यवाही बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुए ‘महाकुंभ’ को भारत के इतिहास में अहम मोड़ करार देते हुए लोकसभा में कहा कि दुनिया ने देश के विराट स्वरूप को देखा और यह ‘सबका प्रयास’ का साक्षात स्वरूप भी था, जिसमें ‘एकता का अमृत’ समेत कई अमृत निकले।
हम आपको यह भी बता दें कि लोकसभा में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेलवे में रोजगार और रेल भर्ती परीक्षाओं को लेकर विपक्ष की चिंताओं को खारिज करते हुए लोकसभा में कहा कि पिछले एक दशक में रेलवे में पांच लाख रोजगार दिए गए हैं और इसमें आरक्षण के सभी नियमों का पालन किया गया है। रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान मांगों पर निचले सदन में हुई चर्चा पर जवाब देते हुए वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार में रेलवे में पांच लाख लोगों को रोजगार दिया गया है और आज भी एक लाख लोगों के लिए रेलवे में भर्ती की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने दावा किया कि देश में रेल भर्ती की परीक्षाएं बिना किसी पेपर लीक एवं अन्य व्यवधान के संपन्न कराई जा रही हैं।
द्रमुक सदस्यों का लोकसभा से वॉकआउट
द्रमुक के सांसदों ने मंगलवार को लोकसभा में संसदीय क्षेत्रों और विधानसभाओं के परिसीमन का मुद्दा उठाने का प्रयास किया और प्रश्नकाल में इसकी अनुमति नहीं मिलने पर सदन से वॉकआउट किया। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही द्रमुक के सदस्यों ने अपने स्थान पर खड़े होकर परिसीमन का मुद्दा उठाने का प्रयास किया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें प्रश्नकाल के बाद बोलने की अनुमति देने का आश्वासन दिया। जब द्रमुक के सदस्य अपनी मांग पर जोर देने लगे तब बिरला ने कहा, ‘‘अभी कुछ हुआ नहीं, उसके पहले ही…. (आप इसे उठा रहे हैं)। अभी जब विषय आएगा तब देखेंगे। अभी तो सालों हैं… अभी तो जनगणना हो जाए, उसके बाद देखते हैं।’’ उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा, ‘‘यह आपका गलत तरीका है। कोई मुद्दा तो हो।’’ इसके बाद द्रमुक सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया। द्रमुक सांसद के. कनिमोझी ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें (परिसीमन का) मुद्दा उठाने के लिए समय नहीं दिया गया। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने परिसीमन से प्रभावित राज्य के नेताओं से बात की है। सरकार ने तमिलनाडु की चिंता पर जवाब नहीं दिया है। हमें मुद्दा नहीं उठाने दिया जा रहा है। हम इस मुद्दे पर सरकार से स्पष्टीकरण चाहते हैं।”
सोनिया गांधी का भाषण
वहीं राज्यसभा में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को व्यवस्थित रूप से कमजोर करने का आरोप लगाया और इस कानून के तहत न्यूनतम मजदूरी और कार्य दिवसों की संख्या बढ़ाए जाने की मांग की। राज्यसभा में शून्यकाल के तहत इस मुद्दे को उठाते हुए सोनिया ने इस कानून को जारी रखने और साथ ही इसका विस्तार करने के लिए पर्याप्त वित्तीय प्रावधान किए जाने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि यह ‘ऐतिहासिक कानून’ लाखों ग्रामीण गरीबों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि यह गहरी चिंता का विषय है कि वर्तमान भाजपा सरकार ने व्यवस्थित रूप से इसे कमजोर कर दिया है। इसके लिए बजट आवंटन 86,000 करोड़ रुपये पर स्थिर बना हुआ है, जो जीडीपी के प्रतिशत के रूप में दस साल का सबसे कम प्रतिशत है।’’ उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति के हिसाब से देखा जाए तो प्रभावी बजट में 4,000 करोड़ रुपये की गिरावट है। उन्होंने कहा कि अनुमान है कि आवंटित धन का लगभग 20 प्रतिशत, पिछले वर्षों से लंबित बकाया चुकाने के लिए उपयोग किया जाएगा। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष ने कहा कि इस कानून को आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) और राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली (एनएमएमएस) सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कार्यस्थल पर कार्यरत लाभार्थियों की समय पर उपस्थिति एनएमएमएस ऐप के माध्यम से दर्ज की जाती है। गांधी ने यह भी कहा कि मजदूरी भुगतान और मजदूरी दरों में लगातार देरी मुद्रास्फीति की भरपाई के लिए पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि इन चिंताओं के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि योजना को जारी रखने और इसका विस्तार करने के लिए पर्याप्त वित्तीय प्रावधान किए जाएं। उन्होंने कहा, ‘‘इसके साथ ही मजदूरी में प्रति दिन 400 रुपये की न्यूनतम वृद्धि की जाए, मजदूरी की राशि समय पर जारी की जाए, अनिवार्य एबीपीएस और एनएमएमएस आवश्यकताओं को हटाया जाए, गारंटी वाले कार्य दिवसों की संख्या में 100 से 150 दिन प्रति वर्ष की वृद्धि की जाए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ये उपाय यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं कि मनरेगा गरिमापूर्ण रोजगार और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करे।’’ केंद्र सरकार ने पिछले साल आम चुनावों की घोषणा से ठीक पहले, वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए मनरेगा मजदूरी में 3-10 प्रतिशत की मामूली वृद्धि की थी। अलग-अलग राज्यों में मजदूरी 237 रुपये (उत्तराखंड) से लेकर 300 रुपये (आंध्र प्रदेश) के बीच है। पिछले साल फरवरी में राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने के बाद से यह दूसरा अवसर था जब सोनिया गांधी ने शून्यकाल के दौरान कोई मुद्दा उठाया है। इससे पहले उन्होंने जल्द से जल्द जनगणना कराए जाने की मांग उठाई थी ताकि सभी पात्र व्यक्तियों को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत गारंटीकृत लाभ मिल सके। शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए उन्होंने यह भी कहा था कि खाद्य सुरक्षा, विशेषाधिकार नहीं बल्कि नागरिकों का एक मौलिक अधिकार है।
वित्त मंत्री का आश्वासन
इसके अलावा ‘मेक इन इंडिया’ के बारे में विपक्ष की आलोचनाओं को सिरे से खारिज करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में कहा कि इसके ‘अच्छे परिणाम’ सामने आ रहे हैं तथा ‘मेड इन बिहार’ बूट अब रूसी सेना के साजो-समान का हिस्सा बन गये हैं। उच्च सदन में अनुदान की अनुपूरक मांगों और मणिपुर के बजट पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना के माध्यम से 1.5 लाख करोड़ रूपये का निवेश आकर्षित हुआ और करीब 9.5 लाख रोजगार के अवसर सृजित हुए। उन्होंने कहा, ‘‘मेक इन इंडिया ने वास्तव में हमें अच्छे परिणाम दिये हैं। हमने एक के बाद एक कदम इस देश के विनिर्माण को मजबूती देने के लिए उठाये हैं।’’ ‘मेक इन इंडिया’ पहल की शुरुआत 25 सितंबर 2014 को की गयी थी ताकि निवेश की सुविधा प्रदान की जा सके, नूतन प्रयासों को बढ़ावा दिया जा सके, आधारभूत ढांचे का निर्माण हो सके तथा भारत को विनिर्माण, डिजाइन और नूतन प्रयासों का केंद्र बनाया जा सके। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘मेक इन इंडिया में भरोसा रखिए। यह आपको परिणाम दे रही है।’’ उन्होंने कहा कि ‘मेड इन बिहार’ बूट (जूते) अब रूसी सेना के साजो-समान का हिस्सा बन गये हैं जिसके कारण वैश्विक रक्षा बाजार में भारतीय उत्पादों ने महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है तथा भारत के उच्च विनिर्माण मानकों का प्रदर्शन किया है। उन्होंने कांग्रेस पर अपनी सरकारों के समय राष्ट्रीय विनिर्माण नीति बनाने में बहुत समय लगाने और कई देशों के साथ ‘जल्दबाजी’ में मुक्त व्यापार समझौते करने को लेकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि ऐसे कई समझौतों पर फिर से चर्चा कर इनमें सुधार किया जा रहा है। सीतारमण ने कहा, ‘‘आप दावा करते हैं कि मेक इन इंडिया काम नहीं कर रहा है। क्या इसका मतलब यह नहीं है कि राष्ट्रीय विनिर्माण नीति त्रुटिपूर्ण थी। क्या आप यह सुझाव दे रहे हैं? यह आपकी नीति है। किंतु यह एक नीति बनी रहेगी। इसमें कोई कार्य समूह नहीं है। और हमने जब इसे काम करने लायक नीति बनाया, हम मेक इन इंडिया लेकर आये, उनको समस्याएं हो रही हैं…।’’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस भ्रमित है क्योंकि ‘मेक इन इंडिया’ में राष्ट्रीय विनिर्माण नीति को शामिल कर लिया गया है जिसे संप्रग ने बनाया था। उन्होंने दावा किया कि ‘मेक इन इंडिया’ से यह पता चल रहा है कि निर्यात कैसे संभव हो सकता है। उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर रक्षा क्षेत्र को देखा जा सकता है। वित्त मंत्री ने संप्रग के शासनकाल में जल्दबाजी में मुक्त व्यापार समझौते किए जाने की आलोचना की और कहा कि इन गलतियों को दुरूस्त करने के लिए अब वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।