न तेजस्वी, न नीतीश बल्कि चिराग पासवान उड़ाएंगे गर्दा… बिहार में होगा ‘खेला’ !

Share it now

पटना। बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने को हैं. जिसको लेकर सभी पार्टियों ने अपनी कमर कसनी शुरू कर दी है. लेकिन चुनाव से पहले बिहार में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान चर्चा में आ गए हैं. चिराग के उस बयान ने तहलका मचा दिया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि बिहार बुला रहा है. क्या चिराग पासवान एनडीए से अलग हो रहे हैं या फिर एनडीए में रहते हुए सीएम पद की दावेदारी ठोक रहे हैं? या फिर सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए में प्रैशर पॉलिटिक्स खेल रहे हैं? क्या चिराग पासवान की नजर नीतीश कुमार की सीएम कुर्सी पर है?

‘बिहार बुला रहा है’…बयान से सुर्खियों में चिराग पासवान

चिराग पासवान के बिहार बुला रहा है… बयान के बाद सोशल मीडिया पर तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. चिराग पासवान के बहनोई और जमुई के सांसद अरुण भारती ने तो दो कदम आगे बढ़कर बोल दिया है कि बिहार को युवा नेतृत्व की जरूरत है. भारती ने नीतीश सरकार के कामकाज पर भी इशारों-इशारों में सवाल उठा दिए. क्या बिहार की राजनीति, जो पहले से ही गठबंधनों और जातिगत समीकरणों के जटिल मायाजाल में लिपटी है, अब चिराग के संभावित कदम से नया आयाम लेगी?

चिराग एनडीए से अलग होते हैं तो क्या इस फैसले से न केवल एनडीए, बल्कि महागठबंधन और अन्य छोटे दलों के समीकरण भी प्रभावित हो सकते हैं? क्या चिराग पासवान वह काम कर पाएंगे, जो उनके स्वर्गीय पिता रामविलास पासवान ने अपने राजनीतिक करियर में कभी नहीं कर पाए? क्या 2025 में चिराग पासवान का सीएम बनने का सपना साकार होगा? या फिर उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं का हश्र वैसा ही होगा, जैसे उनके पिता का हुआ?

चिराग पासवान क्या कर पाएंगे इस बार कमाल?

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो चिराग पासवान खराब स्थिति में भी 2 से 3 प्रतिशत दलित वोटों पर पकड़ रखने का माद्दा रखते हैं. अभी तो वह केंद्रीय मंत्री हैं और दलित और महादलितों की लगभग 5-6% आबादी पर उनकी अच्छी-खासी पकड़ है. 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारे थे. इस चुनाव में दलित वोटों के साथ-साथ सवर्णों का भी वोट एलजेपी को मिला था.

क्योंकि, उस चुनाव में बीजेपी से टिकट कटने के बाद कई सवर्ण उम्मीदवारों को उन्होंने टिकट दिया था, जिन्होंने काफी वोट हासिल किए थे. उनकी पार्टी ने लगभग 6% वोट हासिल किए, जिसने कई सीटों पर जेडीयू की हार सुनिश्चित की. अब, यदि चिराग स्थायी रूप से एनडीए से बाहर जाते हैं और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी जैसे नए सहयोगी के साथ गठबंधन करते हैं तो बिहार में त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना बढ़ जाएगी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *