नई दिल्ली। ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 88 साल की उम्र में निधन हो गया है. वेटिकन ने उनके निधन की पुष्टि की. पोप फ्रांसिस लंबे समय से बीमार थे. वेटिकन ने बयान जारी कर कहा कि, पोप फ्रांसिस रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी धर्मगुरु थे. उनके दोनों फेफड़ों में न्यूमोनिया था, जिसकी वजह से उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी. वह लंबे समय तक अस्पताल में थे वह 38 दिनों तक अस्पताल में रहे थे और हाल में ही अस्पताल से डिस्चार्ज हुए थे. उनका अपने आवास कासा सेंटा मार्टा पर निधन हुआ.
वेटिकन सिटी में 9 दिनों तक शोक
पोप फ्रांसिस के निधन से वेटिकन सिटी में 9 दिनों तक शोक मनाया जाएगा. सेंट पीटर्स बेसिलिका में उनका पार्थिव शरीर रखा जाएगा. वेटिकन सिटी के सेंट पीटर्स बेसिलिका में पोप फ्रांसिस को आखिरी विदाई दी जाएगी.
पोप फ्रांसिस ने रविवार को ईस्टर के मौके पर सरप्राइज पब्लिक एपीयरेंस दी थी. उन्होंने सेंट पीटर स्क्वायर से 35 हजार लोगों की भीड़ का हाथ मिलाकर अभिवादन स्वीकार किया था. वेटिकन के कार्डिनल केविन फेरेल ने बताया कि, पोप फ्रांसिस का पूरा जीवन ईश्वर की सेवा में समर्पित रहा.
पहले गैर यूरोपीय को बने थे पोप
पोप फ्रांसिस का जन्म अर्जेंटीना में हुआ था और उनका नाम जॉर्ज मारियो बेर्गोलियो था. पोप फ्रांसिस 2013 से इस पद पर थे. पोप बेनेडिक्ट XVI के इस्तीफे के बाद उन्होंने यह पद संभाला था. कार्डिनल ने उन्हें 266वें पोप के रूप में चुना था. यह पहला मौका था, जब किसी गैर यूरोपीय को पोप बनाया गया था.
पीएम मोदी, राहुल गांधी ने जताया दुख
पोप के निधन से दुनियाभर में शोक की लहर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी ने भी पोप के निधन पर दुख जताया. राहुल गांधी ने कहा कि, पोप फ्रांसिस करुणा-न्याय-शांति की वैश्विक आवाज थे. वहीं प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी दुख जताते हुए कहा कि, पोप फ्रांसिस का निधन पूरे विश्व के लिए एक क्षति है.