यूपी के संभल में सैयद सालार मसूद गाजी की याद में लगने वाले नेजा मेले पर रोक के बाद राजनीति तेज हो गई है. सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर मसूद गाजी को सूफी संत बताया है. उन्होंने मसूद गाजी को आक्रांता कहे जाने पर ASP श्रीश चंद्र की तीखी आलोचना की है. बर्क ने बिना नाम लिए ASP को बर्खास्त करने की मांग की है.
सपा सांसद ने संभल में अधिकारियों पर संवैधानिक अधिकारों को नजरंदाज करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि संविधान की शपथ लेने वाले लोग कैसे किसी की आस्था से खिलवाड़ कर लेते हैं. उनपर डीजीपी या सरकार लगाम क्यों नहीं लगाती.
बकौल जियाउर्रहमान बर्क- एक अधिकारी बिना तथ्यों को जाने बार-बार जिस तरीके के अल्फाज सूफी संत के बारे में इस्तेमाल कर रहा है वो सिर्फ नफरत की हवा को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है, ना की संविधान का पालन कर रहा है. सैयद सालार मसूद गाजी जिन्हें सोमनाथ के मंदिर पर हुए हमले से जोड़ा जा रहा है वो गलत है. जब सोमनाथ के मंदिर पर हमला हुआ तब उनकी उम्र सिर्फ 11 साल थी. इतिहासकार बताते हैं कि सोमनाथ के मंदिर पर हमले में सालार मसूद गाजी की मौजूदगी का कोई भी ज़िक्र नहीं है.
आपको बता दें कि नेजा मेले पर रोक लगाते हुए ASP श्रीशचंद ने मसूद गाजी को ‘हत्यारा और लुटेरा’ बताया था. उन्होंने कहा था कि जो कोई ऐसे आक्रांता की याद में मेले का आयोजन करेगा वो देशद्रोह करेगा. पहले अगर अनजाने में गलती हो गई, तो अब उसे सुधारा जाना चाहिए. एएसपी ने दो टूक कहा कि अगर किसी ने कानून का उल्लंघन किया तो उसपर सख्त एक्शन लिया जाएगा.
आपको बता दें कि सैयद सालार मसूद गाजी विदेशी आक्रांता महमूद गजनवी का भांजा और सेनापति था. गजनवी ने 1000 से 1027 ईस्वी के बीच भारत पर 17 बार हमला किया था. इस दौरान उसने हिंदुओं की आस्था के प्रतीक सोमनाथ मंदिर सहित कई बड़े मंदिरों पर भी आक्रमण किया था.