सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राहुल गांधी को स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में टिप्पणी करने के खिलाफ चेतावनी दी है. साथ ही कोर्ट ने वीडी सावरकर के बारे में टिप्पणी करने पर ट्रायल कोर्ट के समन पर रोक लगा दी है.
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और मनमोहन की पीठ ने कांग्रेस नेता को सावरकर के खिलाफ आगे कोई अपमानजनक टिप्पणी करने से आगाह किया. कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र में उनकी पूजा की जाती है. अदालत ने कहा कि अगर गांधी इस तरह की टिप्पणी करना जारी रखते हैं, तो उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे. जब वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने कहा कि इस मामले में धारा 196 लागू नहीं होती.
जस्टिस दीपांकर दत्ता ने नाराजगी जताते हुए कहा कि क्या आपके मुवक्किल को पता है कि महात्मा गांधी ने भी आपका वफादार सेवक शब्द का इस्तेमाल किया था. क्या उन्हें पता है कि उनकी दादी ने भी स्वतंत्रता सेनानी को पत्र भेजा था.
उन्हें स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में गैरजिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए. अदालत ने कहा कि आप स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास- भूगोल को जाने बिना ऐसे बयान नहीं दे सकते. मैंने भी हमारे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को इसी तरह लिखते देखा है. इस तरह आप कहेंगे कि महात्मा गांधी अंग्रेजों के सेवक थे.
आगे लेंगे स्वत: संज्ञान
कानून के बारे में आपकी बात सही है और आपको स्थगन मिल जाएगा. लेकिन उनके द्वारा आगे दिए गए किसी भी बयान पर स्वतः संग्यान लेकर विचार किया जाएगा. अदालत ने सख्त भरे लहजे में कहा कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में एक शब्द भी नहीं कहें.
उन्होंने हमें स्वतंत्रता दिलायी और हम उनके साथ ऐसा व्यवहार करते हैं?? सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका पर नोटिस जारी किया है. उन्होंने कहा कि आठ सप्ताह में जवाब तलब किया जाएगा. राहुल गांधी ने कहा था कि वीडी सावरकर अंग्रेजों के वफादार नौकर रहना चाहते थे.
कांग्रेस नेता यह फटकार सुनने के लिए अदालत में नहीं थे. वे पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकवादी हमले में घायल हुए लोगों से मिलने के लिए जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में थे. उनके स्थानीय व्यापारियों के प्रतिनिधिमंडलों से भी मिलने की उम्मीद है, जो इस हमले के बाद जम्मू-कश्मीर छोड़ने के लिए डरे हुए पर्यटकों की भीड़ से प्रभावित हैं.