यूपी उपचुनावों को लेकर इतने दिन से सभी 9 सीटों पर हुंकार भर रही कांग्रेस को यूपी के उपचुनाव में एक भी सीट न मिली, बता दे कांग्रेस नौ में से एक भी सीट पर उपचुनाव नहीं लड़ेगी, बल्कि सपा को समर्थन देगी। ऐसा कैसे हो गया जो कांग्रेस और उसके प्रदेश अध्यक्ष इतने दिनों से यूपी की सभी सीटों पर दावा थोक रहे थे वो बैकफुट पर कैसे आ गए ? आखिर राहुल और अखिलेश के बीच क्या सीक्रेट बात हुई ? क्या अखिलेश का कद इतना बड़ा हो गया, क्या अखिलेश को नया राजनीती का चाणक्य कहा जाये ? ये सब बताएंगे आपको अगले 2 मिनट में की क्या है परदे की पीछे की कहानी ?
बता दे हरियाणा में उपेक्षा का कड़वा घूंट पी चुकी सपा ने यूपी में अपना दम दिखाया तो खुद को कमजोर आंक रही कांग्रेस को बुझे मन से सपा की ओर फिर दोस्ती का हाथ बढ़ाना ही पड़ा।। इसकी वजह ये भी है की कांग्रेस ने हरियाणा में सपा से किनारा कर लिया था जिसका उसको नुकसान भी हुआ और हरियाणा में यादव जाती के लोग यानी यादव वोटर्स नाराज़ हो गए जिसकी वजह थी कंग्रेस्स को कई सीटों पर कम अंतर से हार का मुँह देखना पड़ा जिनपर यादव वोटर्स की जनसंख्या जायदा थी ! आपको बता दे हरियाणा की हार से कांग्रेस के तेवर ढीले कर दिए बतादे सूत्रों के अनुसार, इस बीच सपा की ओर से कांग्रेस के साथ दोस्ती बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताते हुए दो सीटों गाजियाबाद और खैर पर लड़ने की पेशकश की गई, जबकि कांग्रेस फूलपुर के लिए भी दावा कर रही थी। हाल ही में तीसरी सीट के लिए दोनों दलों के बीच बैठक भी हुई, लेकिन बेनतीजा रही।
सपा प्रत्याशी दर प्रत्याशी घोषित करती गई और यूपी कांग्रेस का प्रस्ताव न सिर्फ सपा, बल्कि कांग्रेस हाईकमान के पास भी ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। आखिरकार, प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष सहित अन्य नेता दिल्ली आए। शीर्ष नेतृत्व संग चर्चा की और निर्णय हुआ कि कांग्रेस एक भी सीट नहीं लड़ेगी।
आम चर्चा है कि कांग्रेस उसे दी जा रही दोनों सीटों पर खुद को कमजोर मान रही थी और हार का धब्बा अपने ऊपर लगाने की बजाए सभी सीटों के रणनीतिक त्याग को ही सही माना। प्रभारी और अध्यक्ष ने यहां गुरुवार को प्रेसवार्ता में दावा किया कि सहमति से यह निर्णय भाजपा को हराने के लिए किया है और कांग्रेस अब 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी करेगी। सपा के सिंबल पर कांग्रेस प्रत्याशी को लड़ाए जाने से भी कांग्रेस नेताओं ने इनकार कर दिया।।। आपको बता दे
आपको बता दे महाराष्ट्र में इस समय विधानसभा चुनाव की राजनीति गरमाई हुई है। विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी में सीटों के बंटवारे पर आखिरी समय में सहमति बनी है। अखिलेश यादव वहां 12 सीटों की मांग कर रहे हैं। हालांकि, एमवीए की ओर से उन्हें तीन से चार सीटें मिलने का अनुमान है। हालांकि, अखिलेश ने पहले ही महराष्ट्र में पांच उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। ऐसे में कांग्रेस असमंजस में है की कहीं इस बार भी अखिलेश की बात न मानकर अपना भी नुकसान तो नहीं कर लेगी| क्यूंकि महाराष्ट्र में भी सपा का दबदबा है काफी मात्रा में मुस्लिम वोटर्स सपा के साथ है.. क्यूंकि पिछले चुनावो में सपा का महाराष्ट्र में प्रदर्शन अच्छा रहा हाथ ! अब सवाल ये उठता है की क्या अखिलेश का कद इतना बढ़ गया है 2024 लोकसभा चुनाव के बाद की देश की सबसे पुराणी पार्टी भी अब अखिलेश के आगे समर्पण करने को तैयार है.. लग तो ऐसा ही रहा है यानी अगर अखिलेश को राजनीती का चाणक्य कहा जाये तो गलत नहीं होगा !