उपचुनाव में कुंदरकी सीट पर राजनीतिक पार्टियों का क्या है जातिय समीकरण और 31 सालों से क्यों बीजेपी को मिल रही मात, जानिए

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यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए राजनितिक पार्टियां अपनी कमर कस चुकी है. और उन सभी 9 सीटों में से एक कुंदरकी सीट का मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है. क्योंकि इस सीट पर अल्पसंख्यक बहुसंख्यक है और बहुसंख्यक अल्पसंख्यक है यानि कुंदरकी में करीब 60 प्रतीशत मुस्लीम मतदाता है तो वहीं हिंदु और बाकी सभी धर्मों के लोग सिर्फ 40 प्रतिशत ही है. इसी को देखते हुए एक बार से सपा ने मुस्लिम उम्मीदवार पर भरोसा जताकर कुंदरकी में मुस्लीम मतदाताओं को भेदने का काम किया है . बता दें कि सपा ने एक बार से हाजी रिजवान को उपचुनाव के लिए टिकट दिया है.
लेकिन सपा के मनसुबे पर पानी फेरने के लिए मैदान में बीजेपी की बी टीमों ने भी एंट्री ले ली है. जिन्होनें सपा की मुश्किलें बढ़ा दी है. बसपा से रफत उल्लाह खान को टिकट मिला है तो वहीं  AIMIM ने हाफिस वारिस को मैदान में उतारा है. यानि एक ही सीट से 3 बड़ी पार्टियों के मुस्लीम उम्मीदवार है वहीं सपा के 12 साल के दबदबे को मिटाने के लिए भाजपा ने अपने 31 साल के पुराने दाव को चला है. बीजेपी ने ठाकुर रामवीर सिंह को उम्मीदवार बनाकर हिंदु वोटरों को बटोरने की कोशिश की है. क्योंकि भाजपा को भी कहीं ना कहीं इस बात की खबर है कि अगर मुस्लिम बंटा तभी बीजेपी की किस्मत का ताला खुल सकता है. शायद यही वजह है कि जब सपा, बीएसपी और एमआईएम ने मुस्लिम में भी तुर्क को टिकट दिया है तो ऐसे में बीजेपी हिंदू वोटों के अलावा कुछ मुस्लिम वोट हासिल करने की भी पुरज़ोर कोशिश कर रही है. शायद इसी लिए बीजेपी प्रत्याशी को जालीदार टोपी पहनना पड़ा और लोगों को खुदा की कसम दिलानी पड़ी.

कुंदरकी सीट का क्या है समीकरण?
बता दें कि कुंदरकी में कुल 3 लाख 83 हज़ार 500 वोटर्स हैं.इनमें मुस्लिम वोटर्स की संख्या 2,45,000 है. तो वहीं हिंदू वोटर्स की संख्या तकरीबन 1,38,500 के करीब है. 2 लाख 45 हज़ार मुस्लिम वोटर्स में अकेले तुर्क वोटर लगभग 70 हज़ार हैं.कुदरकी सीट पर करीब 64 फीसदी मुस्लिम वोटर है, जो डेढ़ लाख के करीब है. हिंदू समुदाय की तरह मुस्लिम भी अलग-अलग जातियां है. कुंदरकी में 40 हजार के करीब तुर्क मुसलमान हैं, तो एक लाख दस हजार के करीब अन्य मुस्लिम जातियां है. पश्चिम यूपी में राजपूत मुस्लिम भी है, जिन्होंने मुगलों के दौर में धर्म परिवर्तन कर हिंदू से मुस्लिम बन गए थे. कुंदरकी में चौधरी, खां साहब और शेखजादे लगाने वाले जातियां मुस्लिम राजपूत के तहत आती हैं. मुस्लिम राजपूत वोटर कुंदरकी में 45 हजार के आसपास है.
ठाकुर रामवीर सिंह तीसरी बार लड़ रहे हैं चुनाव
यह तीसरी बार होगा जब सिंह कुंदरकी से चुनाव लड़ेंगे – उन्होंने 2012 और 2017 में इस सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे. 2022 में, भाजपा ने कमल कुमार को मैदान में उतारा, जो पूर्व एसपी सांसद शफीक उर रहमान बर्क के पोते जिया उर रहमान बर्क से सीट हार गए. बर्क तुर्क समुदाय से हैं, जो इस क्षेत्र में बसने वाली विभिन्न तुर्क जनजातियों के वंशज होने का दावा करते हैं.

भाजपा आखिरी बार 1993 में हासिल की थी जीत
भाजपा पिछले 31 साल से कुंदरकी सीट नहीं जीत पाई है. भाजपा ने आखिरी बार 1993 में इस सीट पर जीत दर्ज की थी जब पार्टी के चंद्र विजय सिंह उर्फ ​​बेबी राजा, एक ठाकुर, उन्होंने जनता दल के अकबर हुसैन को 23,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया था. सूत्रों ने कहा कि भाजपा की चुनावी रणनीति एक बार फिर राजपूत समुदाय को एकजुट करने के इर्द-गिर्द घूमती है. यह पिछले हफ्ते ही था जब सिंह ने यूपी बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा द्वारा आयोजित एक मुस्लिम सम्मेलन के दौरान एक टोपी और अपने कंधे पर सऊदी अरब शैली का रूमाल बांध रखा था. इस इशारे को बाद में भाजपा की ‘गंगा जमुनी’ तहजीब का नाम दिया गया.

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