झांसी के रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में आग लगने से 10 बच्चों की मौत हो गई. हादसे में कई बच्चे ऐसे हैं जिनके मां-बाप की जानकारी नहीं मिल पा रही. वहीं कुछ मां-बाप भी ऐसे हैं जिनको अपने बच्चों की जानकारी नहीं मिल पा रही. ऐसे ही एक पिता हैं महोबा के कुलदीप सिंह. महोबा जिले के कबरइ इलाके के रहने वाले कुलदीप सिंह का भी बेटा मेडिकल कॉलेज में एडमिट था जिसका अब कुछ पता नहीं चल पा रहा है. 9 नवंबर को कुलदीप के बेटे का जन्म हुआ था. उसकी तबीयत खराब हुई तो झांसी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया.
दवा लेने बाहर गए थे कुलदीप
बीती रात जब यह हादसा हुआ तो कुलदीप बच्चे की दवा लेने के लिए बाहर गए थे. पत्नी ने उन्हें वार्ड में आग लगने की सूचना दी. कुलदीप दौड़कर जब वार्ड में पहुंचे तो आग हर तरफ फैल चुकी थी. बच्चे अंदर बिलख रहे थे और हर तरफ चीख-पुकार मची हुई थी. कुलदीप उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने अपनी जान पर खेलकर बच्चों को बचाया. वार्ड में भर्ती 54 बच्चों में से 5 बच्चों को कुलदीप ने खुद बचाया लेकिन अब उनके ही बेटे का पता नहीं चल पा रहा है. पीड़ित परिवारों का कहना है कि हादसे के वक्त जिनके बच्चे थे उन्होंने ही भीतर घुसकर बच्चों को बचाया.
कुलदीप ने कहा, ‘मैंने दूसरों के बच्चे बचाए. लेकिन मेरा बच्चा मर गया. बच्चों को बचाते वक्त मेरा हाथ जल गया. मेरा बच्चा अब तक नहीं मिला. मेरा पहला बच्चा था. अफसर भी नहीं बता रहे हैं कि क्या हुआ, कहां गया हमारा बच्चा. हम उनके इंतजार में बैठे हुए हैं. कुछ तो सही जानकारी मिले.’ घायल बच्चों का चल रहा इलाज अब तक की जानकारी के अनुसार, अग्निकांड में घायल 16 बच्चों का मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है. 10 बच्चों की हालत नाजुक बताई जा रही है, वहीं एक बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया गया है. 7 बच्चों का प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है. दो बच्चों को परिजन ले गए हैं. एक का जिला अस्पताल में इलाज हो रहा है. 6 बच्चे अपनी मां के साथ वार्ड में सुरक्षित हैं. 6 बच्चे सुरक्षित हैं लेकिन उनके मां-बाप की जानकारी नहीं है. 10 बच्चों की मौत हो चुकी है.
CM योगी ने मुआवजे का किया ऐलान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में हुई दुर्घटना पर गहरा दुःख जताया है. शुक्रवार देर रात घटना की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री ने रातों-रात उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को मौके पर भेजा.
CM योगी ने मृतक नवजात बच्चों के माता-पिता को 5-5 लाख रुपये तथा घायलों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये की सहायता मुहैया कराए जाने के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने झांसी के मंडलायुक्त और डीआईजी को 12 घंटे में घटना के संबंध में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं. कैसे लगी आग? प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट को हादसे की वजह माना जा रहा है. SSP ने कहा, ‘इस घटना के पीछे किन परिस्थितियों या लापरवाही की वजह से आग लगी, इसकी विस्तृत जांच की जा रही है.’ उन्होंने यह भी बताया कि हादसे के बाद कुछ माता-पिता अपने बच्चों को घर ले गए. NICU में भर्ती बच्चों की स्थिति का सत्यापन किया जा रहा है. मेडिकल कॉलेज ने बताया कि हादसे के समय 52 से 54 बच्चे NICU में भर्ती थे, जिनमें से 10 की मौत हो गई और 16 का इलाज चल रहा है. 1968 में शुरू हुआ यह सरकारी मेडिकल कॉलेज बुंदेलखंड क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक है. घटना के बाद NICU में बचाव कार्य रात 1 बजे तक पूरा कर लिया गया. अधिकारियों ने कहा कि घटना से संबंधित सभी तथ्यों को खंगालने के बाद रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी.