गवर्नर आनंदी बेन को क्यों मिले सरकारी नोटिस ? जानिए पूरा सच !

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राजधानी लखनऊ में वरासत के एक मुकदमे में शरारती युवक ने राज्यपाल को पक्षकार बनाते हुए फर्जी तरीके से नोटिस राजभवन भेज दिया। मामला तब सामने आया जब फाइल राजभवन से कलेक्ट्रेट पहुंची। राज्यपाल ने नाराजगी जताते हुए कार्रवाई का निर्देश दिया तो हड़कंप मच गया।
तहसील मलिहाबाद में मीरा पाल बनाम ग्राम सभा का वरासत का मुकदमा तहसीलदार के न्यायालय में विचाराधीन है। किसी शरारती व्यक्ति ने 11 नवंबर को राज्यपाल को पार्टी बनाते हुए राजभवन को नोटिस भेज दिया।

तहसीलदार विकास सिंह के मुताबिक शरारती व्यक्ति ने सामान्य नोटिस बनाकर न्यायालय की मोहर व तहसीलदार के पेशकार के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर 29 अक्तूबर को जारी होने की तिथि व आठ नवंबर को पेशी की तिथि लिखकर 11 नवंबर को लखनऊ से राजभवन के लिए स्पीड पोस्ट किया था। जबकि वरासत के मुकदमे में राज्यपाल पक्षकार ही नहीं होते है।

तहसील से इस प्रकार का नोटिस नहीं भेजा गया
राजस्व संहिता 2006 लागू होने के बाद धारा-34 के मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद कंप्यूटराइज्ड नोटिस पक्षकारों को जाता है। तहसीलदार का कहना है कि यह नहीं पता चल सका है कि यह हरकत किसने की है।

एसडीएम, मलिहाबाद सौरभ सिंह के अनुसार तहसील से इस प्रकार का नोटिस (इश्तहार) नहीं भेजा गया है।
आरोपी पर र्कारवाई की जाएगी
न्यायालय की फर्जी मोहर व हस्ताक्षर बनाकर किसी अज्ञात व्यक्ति ने जाली नोटिस तैयार कर लखनऊ से स्पीड पोस्ट किया है। ताकि तहसील की छवि धूमिल हो सके। राजभवन से कलेक्ट्रेट आया लेटर अभी मलिहाबाद नहीं आया है। जांच कराई जा रही है। ऐसा कार्य करने वाले व्यक्ति पर र्कारवाई की जाएगी।

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