फूलपुर सीट पर सपा और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर, बसपा के जीत के दिख रहे आसार !

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फूलपुर सीट पर बीजेपी जहां केंद्र और प्रदेश सरकार की विकास योजनाओं को लेकर जनता के बीच जाने की तैयारी कर रही है. तो वहीं सपा गठबंधन केंद्र व प्रदेश सरकार की विफलताओं के साथ ही पीडीए को बड़ा मुद्दा मान रही है. इस सीट पर इंडिया गठबंधन की ओर से समाजवादी पार्टी ने मोहम्मद मुजतबा सिद्दीकी को प्रत्याशी बनाया है. 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्हें महज 2723 वोटों के अंतर से भाजपा प्रत्याशी प्रवीण पटेल ने हराया था. लेकिन इसके 2 साल बाद 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में फूलपुर विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अमरनाथ मौर्या को को लगभग 18 हजार की लीड मिली थी. जिसको लेकर समाजवादी पार्टी के हौसले बुलंद है. तो वहीं कांग्रेस के बागी सुरेश चंद्र यादव का दावा है कि इस सीट पर वह बीजेपी और सपा के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकते हैं. वहीं बीजेपी ने फूलपुर की पूर्व सांसद केसरी देवी पटेल के बेटे पूर्व विधायक दीपक पटेल को चुनाव मैदान में उतारा है.हीं बसपा से जितेंद्र कुमार सिंह ताल ठोंक रहे हैं. हालांकि बसपा द्वारा पूर्व में घोषित प्रत्याशी शिव बरन पासी का टिकट काटकर जितेंद्र कुमार सिंह को टिकट दिए जाने से दलित वर्ग की नाराजगी का भी खामियाजा बसपा को उठाना पड़ सकता है.

फूलपुर का सियासी इतिहास

बता दें कि 2003-04 में परिसीमन हुआ। झूंसी विधानसभा सीट का नाम फूलपुर विधानसभा हो गया। परिसीमन के बाद यहां पहला विधानसभा चुनाव वर्ष 2007 में हुआ। तब प्रवीण पटेल बसपा के टिकट पर जीते। वहीं 2012 में सपा प्रत्याशी सईद अहमद जीते, लेकिन 2017 और 2022 के चुनाव में भाजपा के सिंबल पर के प्रवीण पटेल एक बार फिर से सफल हुए। इनके पिता महेंद्र प्रताप सिंह ने झूंसी विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया था। 1985 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने जबकि 1989 व 1991 में जनता दल से विधायक निर्वाचित हुए थे। वहीं 2024 में प्रवीण पटेल लोकसभा चुनाव के दौरान फुलपुर से जीत हासिल कर सांसद बन गए. जिसके बाद यह सीट खाली हो गई. जिसको भरने के लिए उपचुनाव करया जा रहा है.

फूलपुर पर जातीय समीकरण

वहीं इस सीट के सियासी समीकरण को अगर देखें तो कुल 4 लाख 07 हजार 366 मतदाता अपना विधायक चुनेंगे. इसमें 2 लाख 23 हजार 560 पुरुष और एक लाख 83 हजार 748 महिला मतदाताओं के साथ ही थर्ड जेंडर के 58 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.
जातीय समीकरण की अगर बात करें तो इस सीट पर ओबीसी मतदाता निर्णायक भूमिका में है. खास तौर पर यादव और पटेल मतदाता इस सीट पर जीत हार तय करते हैं. वहीं इस सीट पर मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण भी बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा सकता है.

जातीय समीकरण को लेकर यादव और मुस्लिम मतदाता होंगे प्रभावी
इस सीट पर जातीय समीकरण की अगर बात करें सबसे ज्यादा करीब 76 हजार यादव मतदाता हैं. मुस्लिम मतदाता करीब 54 हजार, ब्राह्मण मतदाता 38 हजार, कुर्मी मतदाता करीब 32 हजार, पासी मतदाता 45 हजार, चमार मतदाता 35 हजार, बिंद कुशवाहा और मौर्या मतदाता करीब 34 हजार, ठाकुर मतदाता करीब 16 हजार और अन्य मतदाता शामिल हैं. समाजवादी पार्टी यादव और मुस्लिम वोट बैंक के साथ ही दलित वोट बैंक में सेंधमारी को अपने पक्ष में मान रही है.

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