रतन टाटा की बहुमूल्य बातें, जीवन को देगी नई दिशा, सबकुछ मिला लेकिन प्यार… ?

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एक दिन आपको ये एहसास होगा कि भौतिक वस्तुओं का कोई मतलब नहीं है। जो चीज मायने रखती है वो है लोगों का खुश और स्वस्थ रहना जिनसे आप प्यार करते हैं।’ – 86 साल की उम्र में रतन टाटा का देहांत हो गया| जो पिछले कुछ दिनों से एज की समस्या से जूझ रहे थें.

9 तारिख की वो आखिरी घड़ी जब इस देश के महान उद्योगपति रतन टाटा ने अपनी अन्तिम सांसे ली| रात के कुछ 11 बजकर 30 मिनट हो रहे थे जब सब खाना खाकर अपने-अपने बिस्तर पर पड़े थे दिन के थकावट से अब आंखे भी सोने की तरफ जा रही थी तभी एक ऐसी खबर आयी जिससे हर किसी की नींदे उड़ा गई.9 और 10 तारिख के दरमियां रतन टाटा इस दुनियां को अलविदा कहकर चले गए | यूं तो हर किसी को पता है कि जो कोई भी इस दुनियों में आया है वो एक ना एक दिन इस दुनियां को अलविदा कहकर चला ही जाएगा | लेकिन रतन टाटा का जाना हर किसी को खल रहा है| जबकि हर किसी को पता है कि अब उनकी उम्र हो चुकी है इसके बावजूद भी इस सच्चाई को कुबुल कर पाना बेहद मुश्कील हो रहा है क्योंकि इसकी सिर्फ एक वजह है वो है रतन टाटा दरियादिल इंसान होना .वे ना जाने कितने बेसहारो को सहारा देकर उनके जीवन को एक नई दिशा दिए .फिर चाहे वो मुंबई 26/11 का अटैक हो जिससे पूरी मुंबई मानो रुक सी गई थी या फिर कोरोना महामारी का मुश्किल समय | रतन टाटा ने सदैव अपना खजाना देश की मदद के लिए खुला रखा है.आप ये जरूर किसी को कहते हुए सुने होंगे कि बिजनमैन और पैसे वालों के पास दिल नहीं होता वे सारे काम दिमाग से करते हैं .लेकिन रतन टाटा की अच्छाईयों के बारे में सोचकर तो यही लगता है कि वो धनि सिर्फ गरीबों और भरतवासियों को मदद देने के लिए ही बने थें.

रतन टाटा ने अपने अनुभवों के आधार पर कुछ ऐसे विचार व्यक्त किए हैं जो सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत है .जिसे सुनकर आज भी लोग अपने करियर के राह में अपनाते हैं.

मैं सही निर्णय लेने में यकीन नहीं करता। मैं फैसला करता हूं और फिर उसे सही बनाता हूं।’

‘हमें कभी भी अपनी जड़ें भूलनी नहीं चाहिए। हम जिस जगह से आते हैं, उसपर हमें हमेशा गर्व होना चाहिए।’
‘जीवन में ऊंच नीच होना बहुत जरूरी है, ताकि हम आगे बढ़ते रहें। क्योंकि एक ईसीजी में भी सीधी लाइन का मतलब ये होता है कि हम जिंदा नहीं हैं।

जहां आज के दौर में लोग एक रिलेशन के बाद दुसरा अफेयर रखते हैं वहीं रतन टाटा का पहला प्यार अधूरा रह गया. जिसके बाद उन्होंने कभी भी शादी ना करने का फैसला लिया .बाताया जाता है कि रतन टाटा को एक कंपनी में काम करने के दौरान लॉस एंजिल्स में प्यार हुआ था, लेकिन वो उस लड़की से शादी करने ही वाले थे. तभी अचानक उन्हें वापस भारत लौटना पड़ा, क्‍योंकि उनकी दादी की तबीयत ठीक नहीं थी. रतन टाटा को ये लगा था कि जिस महिला को वो प्‍यार करते हैं वह भी उनके साथ भारत भी आ जाएगी. रतन टाटा के मुताबिक, ‘1962 की भारत-चीन लड़ाई के चलते उनके माता-पिता उस लड़की के भारत आने के पक्ष में नहीं थे और इस तरह उनका रिश्‍ता टूट गया.’

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