संभल हिंसा का आज 7 वां दिन है। संभल में हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं, लेकिन शनिवार को लखनऊ में संभल को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ गई। सपा डेलिगेशन के संभल जाने के ऐलान के बाद नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय के घर के बाहर फोर्स तैनात कर दी। पार्टी ने दावा किया कि सपा प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल को नजरबंद किया गया। डेलिगेशन में माता प्रसाद पांडेय समेत 5 सांसद और 4 विधायक शामिल थे।आपको बता दें माता प्रसाद पांडेय घर के बाहर आकर कार में बैठे, लेकिन पुलिस ने उनको वापस घर भेज दिया। नाराज माता प्रसाद ने कहा- हम किसी को भड़काते नहीं हैं। बिना किसी नोटिस के उन्होंने मेरे घर पर पुलिस तैनात कर दी। इसके थोड़ी देर बाद ही प्रशासन ने माता प्रसाद को संभल न जाने का नोटिस पकड़ा दिया।
सपा डेलिगेशन में जिन सांसद, विधायकों के नाम थे, उनके घर के बाहर पुलिस पहुंच गई। उधर, देर रात को संभल में डीएम ने धारा-163 लागू कर दी है। यानी, अब 5 लोग बिना अनुमति के इकट्ठा नहीं हो सकेंगे
इसको देखते हुए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सपा डेलिगेशन को संभल नहीं जाने देने पर योगी सरकार पर निशाना साधा है. अखिलेश ने कहा कि प्रतिबंध लगाना भाजपा सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है. ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार उन पर पहले ही लगा देती, जिन्होंने दंगा-फसाद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता.
तो वही दूसरी तरफ डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने अखिलेश यादव के जवाब में बृजेश पाठक ने कहा कि – अखिलेश यादव को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। संभल घटना सपा के संरक्षित अपराधियों की देन है। जो संभल के अपराधी हैं, वो सब समाजवादी हैं। अखिलेश यादव को माफी मांगनी चाहिए
जामा मस्जिद के सर्वे के बाद भड़की हिंसा के बीच संभल जिला प्रशासन ने शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए बड़ा कदम उठाया है। जिला प्रशासन ने शनिवार को आदेश जारी कर 10 दिसंबर तक जिले में बाहरी लोगों, सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों के प्रवेश पर रोक लगा दी है।संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने आदेश जारी करते हुए कहा कि जिले की सीमा में किसी भी बाहरी व्यक्ति, सामाजिक संगठन या जनप्रतिनिधि को सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। इस कदम का उद्देश्य क्षेत्र में शांति बनाए रखना और किसी भी अप्रिय स्थिति को टालना है