यूपी उपचुनाव के दौरान सीसामऊ पर भाजपा और सपा के बीच बड़ी टक्कर, जातिय समीकरण के आधार पर समझिए पुरी रणनिति

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उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 9 सीटों पर उपचुनाव का रण सज गया है. एक तरफ राजनीतिक दलों के बीच नए-नए नारे गढ़े जा रहे हैं, तो दूसरी तरफ एक-एक सीट पर रणनीति को धार भी दी जा रही है. इन 9 सीटों में कानपुर की सीसामऊ की सीट काफी चर्चित है. इस सीट पर 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट से इरफान सोलंकी की जीत हुई थी. इरफान को सजा मिलने के बाद यहां से उनकी पत्नी नसीम सोलंकी को सपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है. तो वहीँ भाजपा ने सुरेश अवस्थी तो बसपा ने वीरेंद्र कुमार को मैदान में उतरा है. इसी बीच भीम आर्मी चीफ चंद्र शेखर आज़ाद ने सीसामऊ सीट को लेकर एक ऐसी बात कही, जिसका यहां की सियासी तस्वीर पर काफी असर पड़ सकता है. चंद्रशेखर ने कहा कि, राजनीतिक कारणों से उनकी कुछ सीमाएं हैं, लेकिन यदि इरफान सोलंकी परिवार का कोई सदस्य चुनाव लड़ रहा है तो जनता को यह तय करना है कि जिसके साथ जुल्म हुआ है उसकी मदद करना या उसे अकेले छोड़ना है. साफ है कि चंद्रशेखर एक तरह से इस सीट पर नसीम सोलंकी का समर्थन करते ही नजर आए.

वहीँ दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी और इरफान सोलंकी की पति नसीम सोलंकी द्वारा मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. दरअसल, नसीम सोलंकी ने दिवाली के दिन शिव मंदिर में पूजा करने के बाद दीप जलाए थे. वहीं उन्होंने शिव मंदिर में जल भी चढ़ाया था. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कई सवाल उठने लगे.मंदिर में पूजा-अर्चना और जलाभिषेक करने के बाद आरोप प्रत्यारोप लगने पर नसीम सोलंकी का बयान समाने आया है.

उन्होंने कहा कि मेरा मकसद किसी धर्म की अपमान करना नहीं है. वहीं उनके खिलाफ फतवा जारी होने पर उन्होंने कहा कि मुझे फतवे पर कुछ नहीं कहना है. नसीम सोलंकी ने कहा कि मंदिर में पूजा करने के बाद गुरुद्वारा भी गई, चर्च भी जाऊंगी उसकी कोई चर्चा नहीं कर रहा है. लेकिन सवाल यहाँ ये भी उठा रहा है की क्या मुस्लिम वोटर्स कहीं नसीम सोलनकी से नारज़ा तो नहीं हो जाएंगे क्यूंकि लोग तरह तरह की प्रतिक्रियां दे रहे है.

2012 में अस्तित्व में आई सीट

वर्ष 2012 में नए परिसीमन के तहत सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र बना। इसके बाद से यह सीट सपा के पास है। इरफान सोलंकी का इस सीट पर खासा दबदबा दिखता है। हालांकि, लोकसभा चुनावों में इस सीट पर भाजपा और सपा के बीच कड़ा मुकाबला होता दिखता है। यहां से भाजपा उम्मीदवार को बढ़त भी मिलती दिखी है। ऐसे में उपचुनाव का रण बेहद महत्वपूर्ण हो गया है.

सीसामऊ विधानसभा सीट का जातीय समीकरण

आपको बता दे सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक मुस्लिम मतदाता हैं। वहीं, दूसरे नंबर पर ब्राह्मण वोटर आते हैं। इनके अलावा अन्य जातियों और वर्ग के मतदाता हैं, लेकिन सबका मिजाज एक जैसा है। विधानसभा में ज्यादातर लोग सपा को वोट देते हैं और लोकसभा में भाजपा को.. बता दे यहां कुल लगभग
2 लाख 70 हजार वोटर हैं. इनमें मुस्लिम करीब 1 लाख हैं और ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के लगभग 60-60 हजार वोटर हैं. इस सीट पर मुस्लिम, ब्राह्मण और दलित वोटर मुख्य भूमिका निभाते हैं. इनके अलावा कायस्थ 26 हजार, सिंधी एवं पंजाबी 6 हजार, क्षत्रिय 6 हजार और अन्य पिछड़ा वर्ग 12,411 वोटर बड़ी भूमिका निभाते हैं। TEXT OUT जिसके लिए सपा ने एक बार फिर से मुस्लीम कार्ड खेला है. उपचुनाव में वोटरों का रुख क्या रहता है, यह देखने वाली बात होगी। इस बार भाजपा ने ब्राह्मण वोटरों को साधने की कोशिश की है। वहीं, बसपा ने दलित वोटों को साधने की कोशिश की है.

इस सीट का कैसा है सियासी इतिहास?

पिछले विधानसभा चुनाव 2022 में इस सीट से सपा प्रत्याशी इरफान सोलंकी ने जीत हासिल की थी. इरफान सोलंकी ने 69,163 वोट हासिल किए थे और भाजपा प्रत्याशी सलिल विश्नोई को 66,897 वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी सुहेल अहमद 5,616 वोटों पर सिमट गए थे. साल 2017 और 2012 में भी इस सीट से सपा प्रत्याशी इरफान सोलंकी जीते ही थे. वहीं, साल 2007 और 2002 में कांग्रेस प्रत्याशी संजीव दरियाबादी जीते थे. इससे पहले 1996, 1993,1991 में लगातार बीजेपी के प्रत्याशी राकेश सोनकर यहां से जीते थे. मालूम हो कि 1985 में संजीव दरियाबादी की मां कमला भी यहां से चुनाव जीत चुकी हैं. मतलब तीन बार इस सीट पर कांग्रेस, तीन बार बीजेपी और तीन बार सपा जीत हासिल कर चुकी है. अब इस बार एक बार फिर देखने वाली बात ये होगी कि इस बार सपा का एक बार फिर से मुस्लीम कार्ड चलता है या भाजपा का ब्राम्हण कार्ड कोई अनोखा जादू करता है ये तो देखने वाली बात होगी.

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