28 सालों के बाद क्या इस बार भाजपा सीसामऊ सीट पर बना पाएगी अपनी जगह , समझिये बीजेपी का ब्राम्हण कार्ड प्लान !

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यूपी उपचुनाव में कानपुर की सीसामऊ सीट काफी चर्चाओं में बनी हुई है. क्योंकि इस सीट पर पिछले कई सालों से सपा का दबदबा बना हुआ है. वहीं सीसामऊ सीट को भेदने के लिए भाजपा ने ब्राम्हण कार्ड खेला है. लेकिन सपा ने हर बार की तरह इस बार भी मुस्लिम कार्ड चलकर भाजपा की मुश्कीलें बढ़ा दी है. तो वहीं उपचुनाव की रेस में बसपा ने भी ब्राम्हण प्रत्याशी पर भरोसा जताते हुए वीरेंद्र कुमार शुक्ला को उम्मीदवार घोषित किया है. बता दें कि सपा ने पुर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को टिकट दिया है. जिससे यह मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है.

क्या है सीसामऊ सीट का जातीय समीकरण? आइये जानते हैं
बता दें कि यहां कुल लगभग 2 लाख 70 हजार वोटर हैं. इनमें मुस्लिम करीब 1 लाख हैं और ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के लगभग 60-60 हजार वोटर हैं. इस सीट पर मुस्लिम, ब्राह्मण और दलित वोटर मुख्य भूमिका निभाते हैं. इनके अलावा कायस्थ 26 हजार, सिंधी एवं पंजाबी 6 हजार, क्षत्रिय 6 हजार और अन्य पिछड़ा वर्ग 12,411 वोटर बड़ी भूमिका निभाते हैं। जिसके लिए सपा ने एक बार फिर से मुस्लीम कार्ड खेला है.

इस सीट का कैसा है सियासी इतिहास?
पिछले विधानसभा चुनाव 2022 में इस सीट से सपा प्रत्याशी इरफान सोलंकी ने जीत हासिल की थी. इरफान सोलंकी ने 69,163 वोट हासिल किए थे और भाजपा प्रत्याशी सलिल विश्नोई को 66,897 वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी सुहेल अहमद 5,616 वोटों पर सिमट गए थे. साल 2017 और 2012 में भी इस सीट से सपा प्रत्याशी इरफान सोलंकी जीते ही थे. वहीं, साल 2007 और 2002 में कांग्रेस प्रत्याशी संजीव दरियाबादी जीते थे. इससे पहले 1996, 1993,1991 में लगातार बीजेपी के प्रत्याशी राकेश सोनकर यहां से जीते थे. मालूम हो कि 1985 में संजीव दरियाबादी की मां कमला भी यहां से चुनाव जीत चुकी हैं. मतलब तीन बार इस सीट पर कांग्रेस, तीन बार बीजेपी और तीन बार सपा जीत हासिल कर चुकी है. देखने वाली बात ये होगी कि इस बार सपा का एक बार फिर से मुस्लीम कार्ड चलता है या भाजपा का ब्राम्हण कार्ड कोई अनोखा जादू करता है ये तो देखने वाली बात होगी.

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